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इरियावहि कुलकम्
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तेउकाय, वाउकाय और साधारण वनस्पतिकाय इन पांच भेदों के पांच सूक्ष्म और पांच बादर दोनों मिल कर दस भेद होते हैं ॥ ३॥ अपजपजत्तभेएहिं वीसंभवे,
__ अपजपजत्तपत्तेयवणस्सइ दुवे । एव मेगिदिश्रा वीस दो जुत्तया,
अपजपजबिदि तेइंदि चउरिदिया ॥३॥ इन दश के अपर्याप्ता और पर्याप्ता इस प्रकार दो दो प्रकार गिनते हुए बीस भेद हुए, उपरांत प्रत्येक वनस्पति के अपर्याप्त तथा पर्याप्त दो भेद होते हैं । इस प्रकार एकिन्द्रिय के कुल बाइस भेद होते हैं। अतिरिक्त इसके पर्याप्ता तथा अपर्याप्ता, दोइन्द्रिय तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय मिलकर विकलेन्द्रिय के छः भेद हुए ॥३॥ नीर थल खेरा उरग परिसप्पया,
भुजग परिसप्प सन्निऽसन्नि पंचिदिया । दसवि ते पज अपजत्त वीसं कया,
तिरिय सव्वेऽडयालीस भेया मया ॥४॥