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शील महिमा गभितं शीलकुलकम्
[६] ॥शील महिमा गर्मितं शीलकुलकम् ॥
सोहग्ग महानिहिणो, - पाए पणमामि नेमिजिसवइयो । बालेगण भुयबनेणं, .... जणदणो जेण निजिणिश्रो ॥ १ ॥
जो बाल्यावस्था में ही अपने भुज बल से श्रीकृष्ण को जीत लिया करते थे वे सौभाग्य समुद्र श्री नेमिनाथ के चरण कमलों की मैं वंदना करता हूं ।। १ ।। सीलं उत्तमवित्तं .
सीलं जीवाण मंगल परमं । सीलं दोहग्गहरं,
सीलं सुक्खाण कुलभवणं ॥२॥ शील प्राणियों का उत्तम धन है, शील जीवों के लिये परम मंगल स्वरूप है, शील दुःख दारिद्रय को हरने वाला होता है तथा शील सकल सुखों का धाम है ।। २ ॥