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श्रीप्रात्मावबोध कुलकम्
इस प्रकार से गुरु श्री के उपदेशों का ज्ञान प्राप्त कर उसमें रमण करने का प्रयत्न कर। जिससे केवलज्ञान प्राप्त हो जावे । तथा जयशेखर (आठ कर्मों का क्षय करने वाला) बन सकें। ___ इस कुलक में कुलक कर्ता 'जयशेखर' नाम सचित किया गया है ॥४३॥ ॥ इति श्री आत्मावबोध कुलकस्य हिन्दी सरलार्थः समाप्तः ।।
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