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कर्म कुलकम्
खंधकसरि के शिष्यों, पालक मन्त्री द्वारा यन्त्र में क्यु पीले गये ? यह सब कर्म बन्धन ही तो था । बिना कर्म बन्धनों के संभव कैसे हो सकता है ॥ ७ ॥ सणंकुमारपामुक्ख-चक्किणो वि सुसाहुणो । वेणणायो कहं हुता ? न हुतं जइ कम्मयं ॥८॥
सनत्कुमार चक्रवत्ति आदि उत्तम साधुओं को वेदना हुई यह सब कर्म नहीं होते तो क्या संभव है ? ॥ ८ ॥ कोसंबीए नियंठस्स, दारुणा अच्छिवेयणा । घणिणो वि कहं हुति ? न हुतं जइ कम्मयं ॥१॥
जो कर्म नहीं होते तो पूर्वावस्था में कौशम्बी नगरी में अति धनवान होने पर भी निर्गन्थ ऐसे अनाथीमुनि को नेत्र पीडा क्यों होती ? ॥ ६ ॥ नमिस्संतो महादाहो, नरिंदस्सावि दारूणो। महिलाए कहं हुतो, ? न हुतं जइ कम्मयं ॥१०॥
नमिराजर्षि जैसे राजा को स्वयं की रानियों के कंकणों की आवाज भी सहन नहीं हुई। ऐसा महादाह हुआ यह सब कर्म के बिना अन्य क्या कारण हो सके ? ॥१०॥