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पुण्य-पाप कुलकम्
सगवीसं कोडिसया,
सतत्तत्तरी कोडिलक्ख सहस्सा य ।
सत्तसयसत्तहुत्तरि, नवभागा सत्तपलियस्स
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॥३॥
सत्ताइस सौ करोड, सतहत्तर कोटि सतहत्तर लाख सतहत्तर हजार सातसौ और सतहत्तर जितने पल्योपम और तथा एक पल्योपम के नौभाग करे उतने सात भाग जितना देव ति का आयुष्य एक पोसह करने वाले को प्राप्त होता है ॥ ३ ॥
अट्ठासीई सहस्सा,
वासस दुरिलक्ख पहराणं ।
ता इमो लाहो
एगो विश्र जइ पहरो, धम्म तिसयसगंचत कोडि, लक्खा बावीस सहस बावीसा ।
दुसय दुवीस दुभागा, सुराउबंधो य इग पहरे
॥ ५ ॥
एक सौ वर्ष के आयुष्य में कुल दो लाख और अट्ठासी
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