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हे भव्य जीवो ! इस प्रकार वर्णित प्रमाण से पाप करने वाले के ऊपर उतने प्रमाण में नरक का आयुष्य बन्ध भी करना पड़ता है, यह जानकर श्री जिनेश्वर कथित धर्म विषय में उद्यम करो । तथा विद्वान् साधु एवं सत्पात्र में दान दो । यहां भी कर्ता ने अपना नाम जिनकीर्ति सूचित किया है ॥ १६ ॥
।। इति श्री पुण्य-पाप कुलकस्य हिन्दी सरलार्थः समाप्तः ।।
पुण्य-पाप कुलकम्
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