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पुण्य-पाप कुलकम्
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जइ पुराणेणं सहियो,
एगो वि अ ता इमो लाहो ॥१२॥ उसमें से एक भी श्वासोच्छ्वास पुण्य से सहित तथा पाप से रहित न हो तो उसका निम्न फल प्राप्त होता है ॥ १२॥ लक्ख दुग सहस पणचत्तं,
___ चउसया अट्ट चेव पलियाई। किं चूणा चउभागा,
सुराउबंधो इगुतासे ॥१३॥ दो लाख पैतालीस हजार चार सौ आठ पल्योपम ऊपर एक पल्योपम के नौ भाग करे ऐसे कुछ न्यून भाग चार जितना ( २४५४०८.४ ) देवगति का आयुष्य बंधित होता है ॥ १३ ॥ एगुणवीसं लक्खा,
तेसट्टी सहस्स दुसय सतसट्ठी। पलियाई देवाउ,
बंधई नवकार उस्सग्गे ॥१४॥