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पुण्य-पाप कुलकम्
सट्ठी ग्रहोरत्तेणं,
__घडीबायो जस्स जंति पुरिसस्स । नियमेणवि रहिश्रायो,
सो दिग्रहयो निष्फलो तस्म ॥१०॥ एक दिवस तथा रात्रि की मिलकर साठो घडी जिसकी निष्फल जाती है व्रत नियम से रहित जाती है उस जीवन में वे रात दिन निष्फल गये जानना चाहिये ॥ १० ॥ चत्तारि श्र कोडिसया.
कोडियो सत्तलक्ख श्रडयाला। चालीसं च सहस्सा,
वाससए हुंति उसासा ॥११॥ एक घडी में एक हजार आठ सौ साठ छियासी श्वासोच्छवास होते है उस प्रमाण से एक सौ वर्ष में चारसौ सात कोटी अडतालीस लाख, चालीस हजार ( ४०७४८४०००० ) श्वासोच्छ्वास होता है ॥ ११ ॥ इक्को वि श्र ऊसासो,
न य रहियो होइ पुराणपावेहिं ।