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पुण्य-पाप कुलकम्
हजार प्रहर होते है उसमें यदि एक भी प्रहर भर्म युक्त (पोसहव्रत युक्त] जावे तो उन्हें जो लाभ होगा वह वर्णन करते है ।
तीन सौ सुडतालीस कोटि बाइस लाख बाइस हजार दो सौ बाइस तथा ऊपर पल्योपम के दो भाग करे उतने नौ भाग ? जितना देवगति का आयुष्य का बन्ध एक प्रहर (पौषध) करने से होता है ॥४-५ ॥ दसलक्ख असीय सहसा,
मुहुत्तसंखा य होइ वाससए । जइ सामाइन सहियो,
एगो वि अ ता इमो लाहो ॥६॥ बाणवई कोडियो,
लक्खा गुणसट्ठि सहस पणवीसं । नवसयपणवीसजुश्रा,
सतिहा अडभाग पलियस्स ॥७॥
सौ वर्ष के आयुष्य में मुहूर्त दस लाख अस्सी हजार होते है, उसमें जो एक मुहूर्त भी सामायिक में जावे तो जो लाभ होगा उसका वर्णन करता हूं ॥ ६ ॥