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शील महिमा गर्भितं शील कुलकम्
निर्मल शील का पालन करने वाले मनुष्य वेताल, भूत, राक्षस, सिंह, चिता, हाथी और सर्प के भी अहंकार को नष्ट कर सकते हैं || १६ ||
जे केइ कम्म मुक्का,
सिद्धा सिञ्यंति सिञ्झिहिंति तहा । सव्वेसिं तेसिं बलं, विसाल सीलस्स हु ललिश्रं
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जो कोई महापुरुष सर्व कर्म का क्षय करके सिद्धि पद को वर्तमान में पाते हैं, तथा भविष्य काल में भी प्राप्त करेंगे उन सब के लिये शील का ही प्रभाव रहा था तथा रहेगा । उत्तम चरित्र तथा शील से ही सिद्धि की प्राप्ति होती है । शीलकाय चरित्र तथा उत्तम माहात्म्य शास्त्रकारों द्वारा वर्णित है, उसे पढते हुए तथा आचरते हुए शीलरत्न की प्राप्ति के लिये प्रयत्न करना चाहिये ॥ २० ॥
॥ इति श्री शील महिमा गर्भितं शीलकुलकस्य सरलार्थः समाप्तः ॥
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