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दान महिमा गभितं दान कुलकम्
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कयवन्नो कयपुन्नो
भोगाणं भायणं जायो ॥१०॥ पूर्व जन्म में दिये हुए दान से प्रगटित अपूर्व शुभ ध्यान के प्रभाव से अति पुण्यवंत कयवन्न श्रेष्ठि विशाल सुखभोग का भागी बना था ॥१०॥ घयपूसवत्थपूसा,
महरिसिणो दोसलेसपरिहीणा। लद्धाइ सयल गच्छो
वग्गहगा सुग्गई पत्ता ॥११॥ धृतपुष्प तथा वस्त्रपुष्प नाम के दो महामुनि स्वलब्धि के कारण समग्र गच्छ की निरतिचार भक्ति करते हुऐ मोक्ष को प्राप्त हुए थे ॥११॥ जीवंत सामि पडिमाइ,
सासणं विरिऊण भत्तीए । पवइऊण सिद्धो,
उदाइणो चरमरायरिसी ॥१२॥ जीवन्त ( महावीर ) स्वामी की प्रतिमा की भक्ति के कारण राज्य का भाग देकर दीक्षित होने वाले उदायी नाम के अन्तिम राजर्षि मोक्ष गति को प्राप्त हुए थे ॥१२॥