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अभिवंदन ग्रंथ के सम्पादकों द्वारा १३ मई, १९९२ को पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी से की गई शास्त्रीय चर्चा का एक दृश्य/क्षु, जी के पास में बैठे हैं सम्पादक श्री डा. कस्तूरचंद कासलीवाल, डा. श्रेयांस जैन, डा. अनुपम जैन एवं डा. शेखर जैन/पूज्य माताजी के बाई ओर बैठी हैं संघस्थ कु. बीना जैन ।
१९ जनवरी, १९९२ को हस्तिनापुर में आर्यिका चंदनामती माताजी एवं क्षु. मोतीसागर जी के सानिध्य में अभिवंदन ग्रंथ के संपादक मंडल की बैठक का एक दृश्य । संपादकों में उपस्थित हैं—डा. प्रेमसुमन जैन, ब्र, रवीन्द्र जैन, डा. शेखर जैन, डा. श्रेयांस जैन तथा पीछे बैठे हैं श्री मनोजकुमार जैन हस्तिनापुर एवं राकेश कुमार जैन, मवाना । चंदनामती माताजी के पास बैठी हैं संघस्थ ब. कु. आस्था जैन । २७ अप्रैल सन् १९९० जम्बूद्वीप स्थल पर नेत्र चिकित्सालय का उद्घाटनकर्ता मवाना निवासी श्री लखमीचंद आढ़ती। साथ में मवाना के नेत्र चिकित्सक डा. श्री अशोक कुमार जैन पूज्य माताजी से आशीर्वाद ग्रहण कर रहे हैं।
पूज्य माताजी संघ सहित जम्बूद्वीप रचना के अन्दर दर्शनार्थ गमन करती हुई।
३ नवम्बर, १९८९ पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी अपने संघ सहित हस्तिनापुर से बड़ौत के लिए विहार करती हुई। ५ नवम्बर को मवाना प्रवेश पर जैन धर्मशाला के बाहर आरती करते हुए राकेश जैन, श्रीमती सुषमा जैन तथा मवाना के अन्य स्त्री-पुरुष ।
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