Book Title: Aryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 819
________________ कल्पद्रुम मण्डल विधान की रचना का पूज्य माताजी का हस्तलेख १५ - ७ -- ८६ १९८६ हस्तिनापुर भा. १) 1-10 . (इ) - 14 27 -। अप्रस्यापा .५५ - प्रास14011ncी , qicnic । पा-- 4-1 प्रसाए 3a, rana, " _chalant at 11 से ये जिते । जि.4 0 प्रतिnishal, 100 पूजें ॥१॥ ही विशतितीसावताणाप्राहा finiबाम जिन दिएजिन प्रतितासमूह। 11 जब अ tival ही . . . मत्र तिष्ठ तिष्ठ 6: 8: भाप । ही . . अब मान सन्निहितो rama Ae लालची | । मष्टक भुमा प्रय।। ६८ पयो 12 को Live । It Duel i) बदाम ॥ जयं भवा ।।५।१ । inा । स hai ( ?.. ॐही प्रrinainaC प्रतितायो .ci... लिसा लिया है। -au/add tv सोय हो है ॥ जज ॥2॥ ॐ ही माता भूबिय निज प्रतिय: चंदन.. यू लि त दल १५ भाल लाया । 16पुंज सन्मुल प्रभू को शिघ्रा " जणू . ॥3॥ ही .... अात... Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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