________________
वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
[६३५
आसाम, नागालैंड एवं इम्फाल के प्रमुख नगर१. गोहाटी (आसाम), २. खारूपेटिया (दरंग) आसाम, ३. तेजपुर (सोनितपुर) आसाम, ४. विश्वनाथ चाराली (सोनितपुर), ५. उत्तर लखीमपुर, ६. शिलापथार, ७. डिब्रूगढ़ (आसाम), ८. तिनसुकिया (डिब्रूगढ़), ९. शिवसागर (आसाम), १०. जोरहाट (आसाम), ११. मरियानी (जोरहाट), १२. डेरगांव (आसाम), १३. बोकाखात (जोरहाट), १४. गोलाघाट (जोरहाट), १५. डीमापुर (नागालैंड), १६. इम्फाल (मणिपुर), १७. सिल्चर, १८. शिलांग, १९. विजयनगर (कामरूप), २०. रंगिया (कामरूप), २१. नलवाड़ी (आसाम), २२. टिहू (कामरूप), २३. बरपेटा रोड, २४. बंगाई गांव (ग्वालपाड़ा), २५. गौरीपुर (धुवड़ी), २६. धुवड़ी, २७. दीनहट्टा (कूचविहार), २८. सिलीगुड़ी (दार्जिलिंग)।
जन्मभूमि से प्रारंभ हुई उत्तरप्रदेशीय यात्रा
श्री ऋषभदेव की जन्मभूमि से पावन जो कहलाती है। साकेतपुरी के कण-कण की पावन सुगन्धि मन भाती है। यहीं पर अनंत तीर्थङ्कर भी जन्मे थे सतयुग में आकर । इस प्रांगण में ही रत्नवृष्टि करता कुबेर अवसर पाकर ॥ १ ॥
ब्राह्मी माता की इस धरती ने फिर से ब्राह्मी माँ पाई। जब अवध प्रांत की ही टिकैतनगरी में इक मैना आई ॥ ईसवी सन् चौतिस शरदपूर्णिमा मोहिनी माता ने पाया।
इक दूजा चाँद देखकर मानो नभ का चन्दा शरमाया ॥ २ ॥ श्री छोटेलाल पिताजी क्या तब यह विचार कर सकते थे? पुत्री मैना में जगमाता का रूप कहाँ लख सकते थे? लेकिन सन् बावन में कन्या ने ब्राह्मी पथ स्वीकार लिया। संघर्षों में विजयी बन कर निज नाम को भी साकार किया ॥ ३ ॥
सम्प्रति वह गणिनी ज्ञानमती जग को संदेश सुनाती हैं। तप त्याग की अनुपम शक्ती को निज काया से दर्शाती हैं। जीवन का हर क्षण है अमूल्य उसका उपयोग बताती हैं।
पुरुषार्थ के बल पर वृहद् ज्ञान अर्जन की कला सिखाती हैं ॥ ४ ॥ उनके इन कार्यकलापों से वह जन्मभूमि भी तीर्थ बनी। कलियुग की इस ब्राह्मी माता से नगरी पावन पूज्य बनी ॥ उनकी साहित्यिक कृतियों ने जग को इतिहास बताया है। नारी ने सब क्षेत्रों में अपना सदा विकास दिखाया है ॥ ५ ॥
जब ज्ञानज्योति यात्रा का क्रम उत्तर प्रदेश में आया था। सबने मिलकर माँ ज्ञानमती का जन्मस्थान बताया था। उद्घाटन ज्योति प्रवर्तन का इस जन्मभूमि से होना है।
लग गये सभी तैयारी में स्वागत अपूर्व ही होना है ॥ ६ ॥ चौबीस नवंबर चौरासी सन् मुकुट बांध कर नगर खड़ा। अपनी कन्या की ज्योति देखने सजधज कर वह निकल पड़ा। हर्षाश्रू बरसाती नगरी मानो शब्दों में बोल रही। बेटी तू ना आई पर तेरी ज्योती ही अनमोल सही ॥ ७ ॥
Jain Educationa international
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org