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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
टिकैतनगर जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति उद्घाटन के शुभ अवसर पर पठित
धन्यधरा यह अवध प्रान्त की आदिप्रभू ने जन्म लिया था । उनकी पुण्य अयोध्या में ही रामचन्द्र अवतार हुआ था ॥ आदि विधाता आदिनाथ ने इस जग को जीना सिखलाया। भगवन रामचन्द्र ने दुष्टों का निग्रह करके दिखलाया ॥ १ ॥
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पूज्या माता ज्ञानमती ने इस नगरी में जन्म लिया है। "मैना " कहकर आप सभी ने कितना उनको प्यार दिया है । हंसने की जब उम्र हुई तो तज वैभव हम सबको छोड़ा। ऐसी ज्ञान पुजारन बन गई नेहा धर्म गुरु से जोड़ा ॥ २ ॥ विश्व झुकाता उनको माथा एक नया इतिहास मिल गया। ज्ञानमती की प्रतिभा लखकर सरस्वती का रूप खिल गया ॥ जग की बनी विभूति ऐसी सौ से अधिक ग्रंथ को लिखकर । सृष्टी का सौंदर्य बताया जम्बूद्वीप सृजन करवाकर ॥ ३
सबको इसका ज्ञान कराने 'जम्बूद्वीप' कहाँ धरती पर इंदिराजी ने इसे चलाया 'ज्ञानज्योति' का रूपक देकर ॥ शान्ति एकता और अहिंसा की यह ज्योति जला गई वो ।
स्वयं हुईं बलिदान किन्तु इस भारत को पथ सिखा गईं वो ॥ ४ ॥
राजनीति हो न्यायनीति हो विजय तभी उसको मिलती है। सभी नीतियों में पहले जब धर्मनीति आगे रहती है । आदिनाथ भगवान राम माँ ज्ञानमती आदर्श इसी के । इंदिरा गाँधी जैसी नेता गौरव है उत्तर भारत के ॥ ५ ॥
१. ब्रहमचारिणी माधुरी की अवस्था में
आज हमारे आदर्शों में 'नारायण' खुद को तिवारी। भारत गौरव बढ़ता जाए इसकी ले लो जिम्मेवारी ॥
मुख्यमंत्री हैं इस उत्तर के उन्हें 'मालती' का अभिनन्दन। उनके सपनों के भारत में जैन जगत का है सब अर्पण ॥ ६ ॥
उद्घाटन के इस मांगलिक कार्यक्रम के पश्चात् ज्योतिरथ अपने गंतव्य की ओर
बढ़ता
अन्तिम प्रणाम कर जन्मभूमि को ज्योतीरथ प्रस्थान हुआ। फिर दरियाबाद के प्रांगण में रथ का स्वागत सम्मान हुआ । निकटस्थ सुमेरगंज कस्बे में भी कार्यक्रम सफल हुआ।
छब्बीस नवंबर की प्रातः बाराबंकी आगमन हुआ ॥ १ ॥ उत्तर प्रदेश के प्रथम चरण में मैं भी कुछ दिन साथ रही। बाराबंकी तो माताजी की कर्मभूमि भी खास रही।
श्री जिलाधीशजी के सम्मुख भाषण में सबने बतलाया। इस भूमी पर ही मैना ने आजीवन ब्रह्मचर्य पाया ॥ २ ॥
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- कु. मालती शास्त्री
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