Book Title: Aryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 811
________________ "माता की माता बनीं ज्ञानमती जी मात" अपनी माता का केशलोंच करती हुई श्री ज्ञानमती माताजी । Jain Educationa International अजमेर में मृगशिर कृ. तीज सन् १९७१ को माता मोहिनी को आर्यिका दीक्षा प्रदान करते हुए पूज्य आचार्य : धर्मसागर महाराज । अजमेर में नवदीक्षित आर्यिका श्री रत्नमती माताजी के साथ पूज्य ज्ञानमती माताजी एवं अभयमती माताजी। सन् १९७३ दिल्ली नजफगढ़ चातुर्मास में आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के साथ श्री रत्नमती माताजी, आर्यिका श्री आदिमती माताजी एवं आर्यिका श्री श्रेष्ठमती माताजी। For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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