Book Title: Aryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 778
________________ ७१०] वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला के पश्चात् पूज्य माताजी का वापस दिल्ली की ओर प्रस्थान हो जाता है। क्योंकि जम्बूद्वीप निर्माण के अलावा एक और महान कार्य सामने था-भगवान् महावीर स्वामी का २५०० वां निर्वाण महोत्सव । इस कार्य में भी दिल्ली की जैन समाज पूज्य माताजी का आशीर्वाद, मार्गदर्शन एवं सानिध्य की इच्छा रखती थी। अतः पूज्य माताजी का पुनः दिल्ली में पदार्पण हो जाता है। दिल्ली में संस्थान की एक बैठक करके यह निर्णय लिया जाता है कि आगे का समस्त कार्य हस्तिनापुर पावन तीर्थ पर संस्थान के नाम से जमीन खरीदकर किया जायेगा। यह बैठक ५ मई १९७४ को अपरान्ह ३.०० बजे आचार्य श्री नमीसागर औषधालाय कूचा सेठ दिल्ली में संपन्न हुई थी। संस्थान के निर्णय के पश्चात् हस्तिनापुर में लगभग २ एकड़ भूमि एक कृषक से खरीदकर "दिगंबर जैन त्रिलोक शोध संस्थान" के नाम से बैनामा रजिस्ट्री कराई गई। जिस पर जम्बूद्वीप का निर्माण प्रारम्भ करना था। पुनः पूज्य माताजी ससंघ दिल्ली से हस्तिनापुर की ओर जून के महीने में ही विहार कर देती हैं और २२ जून १९७४ के शुभ दिन हस्तिनापुर की इस पावन भूमि पर जम्बूद्वीप के अंतर्गत सुमेरू पर्वत का शिलान्यास सादे समारोह के साथ सम्पन्न हो जाता है। चातुर्मास का समय बिल्कुल निकट आ रहा था। दिल्ली के भक्तगण पूज्य माताजी के पास हस्तिनापुर पहुंचते हैं और निवेदन करते हैं कि निर्वाण महोत्सव के सारे राष्ट्रीय कार्यक्रम दिल्ली में रखे गये हैं इस कार्यक्रम में आपका मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद हम दिल्ली वासियों को अवश्य चाहिये। अतः चातुर्मास दिल्ली में होना चाहिये। भक्तजनों के अत्यंत आग्रह पर पूज्य माताजी ने २२ जून को ही हस्तिनापुर से दिल्ली के लिये मंगल विहार कर दिया। और मवाना, सरधना, बिनौली, बड़ौत होते हुए चातुर्मास स्थापना के दिन २९ जून १९७४ को पुनः पूज्य माताजी का ससंघ आगमन दिल्ली हो जाता है। आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज ससंघ के साथ ही दिगंबर जैन लाल मंदिर चांदनी चौक दिल्ली में पूज्य माताजी चातुर्मास स्थापित करती हैं। अब इस चातुर्मास के मध्य विशेष रूप से अधिकतम समय निर्वाण महोत्सव की सफलता के लिए व्यतीत होने लगा। आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की परंपरा के पट्टाचार्य आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज की अपूर्व छाप दिल्ली समाज पर पड़ी और निर्वाण महोत्सव के राष्ट्रीय समिति में साधुओं की श्रृंखला में आ० श्री धर्मसागर जी महाराज का नाम सर्वोपरि रखा गया। आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज के अतिरिक्त महान् विद्वान आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज, एलाचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज एवं पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के मार्गदर्शन में निर्वाणमहोत्सव के अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में सम्पन्न हुये, तथा माननीया प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी भगवान महावीर स्वामी के २५०० वें निर्वाण महोत्सव को भारत सरकार की ओर से सहयोग प्रदान करते हुये राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम मनाने में अपनी धार्मिक भावना का परिचय दिया था। संस्थान की कार्यकारिणी: ऊपर हम उल्लेख कर आये हैं कि संस्थान के पंजीकृत होते ही संस्थान की कार्यकारिणी का प्रत्येक तीन वर्ष में संस्थान के संविधान के अनुसार चुनाव होता रहा। इस चुनाव का कार्य पूज्य माताजी की आज्ञा से संस्थान की कार्यकारिणी द्वारा ही किया जाता है। ____संस्थान की कार्यकारिणी के प्रथम अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त किया डा० श्री कैलाशचंद जैन राजा टायज दिल्ली ने, उसके बाद लाला. श्री श्यामलाल जैन ठेकेदार, उसके बाद श्री मदनलाल चांदवाड़, रामगंज मंडी राज०, उसके बाद श्री अमरचंद पहाड़िया कलकत्ता तथा उसके बाद बाल ब्र० श्री रवीन्द्र कुमार जैन (मुझे) संस्थान के अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया गया। इसी प्रकार संस्थान के संरक्षक पद को सुशोभित करने में कुछ नाम उल्लेखनीय हैं। सरसेठ श्री भागचंद सोनी-अजमेर, साहू श्री श्रेयांसकुमार जैन बॉम्बे, साहू श्री अशोक कुमार जैन-कलकत्ता, श्री मिश्रालाल जैन काला कलकत्ता , श्री पूनमचंद जैन गंगवाल, झरिया, श्री हरकवंद सरावगी-कलकत्ता, श्री शिखरचंद जैन, रानी मिल मेरठ, श्री लखमीचंद छावड़ा-गौहाटी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। वर्तमान में संस्थान के संरक्षक पद पर साहू श्री अशोक कुमार जैन-दिल्ली, श्री अमरचंद जैन पहाड़िया-कलकत्ता, एवं श्री निर्मल कुमार सेठी, लखनऊ हैं। संस्थान के उपाध्यक्ष पद पर ला. श्री सुमत प्रकाश जैन-शाहदरा दिल्ली, श्री रमेशचंद जैन पी.एस.जैन मोटर्स, दिल्ली, श्री मोतीचंद कासलीवाल, दिल्ली, श्री प्रेमचंद अहिंसा मंदिर, दिल्ली, श्री त्रिलोकचंद कोठारी, दिल्ली आदि अनेक गणमान्य महानुभाव सुशोभित कर चुके हैं। इसी प्रकार संस्थान के प्रथम महामंत्री वैद्य श्री शांतिप्रसाद जैन, दिल्ली मनोनीत किये गये थे, उसके बाद श्री कैलाशचंद जैन, खद्दर वाले, सरधना, पश्चात् श्री गणेशीलाल रानीवाला कोटा एवं वर्तमान में श्री जिनेन्द्र प्रसाद जैन ठेकेदार दिल्ली मनोनीत किये गये हैं। संस्थान के मंत्री पद पर सर्वप्रथम श्री कैलाशचंद जैन करोल बाद दिल्ली पश्चात् बाल ब्र० श्री मोतीचंद जैन सर्राफ, पश्चात् बाल ब्र० श्री रवीन्द्र कुमार जैन, पश्चात् कु० माधुरी जैन, पश्चात् श्री अनंतवीर जैन, हस्तिनापुर एवं वर्तमान में श्री अमरचंद जैन, होम ब्रेड, मेरठ इस पद को संभाल रहे हैं। संस्थान के कोषाध्यक्ष पद पर सर्वप्रथम बाल ब्र० श्री मोतीचंद जैन को मनोनीत किया गया था, उसके बाद पिछले १५ वर्षों से श्री कैलाशचंद जैन, करोल बाग, नई दिल्ली संस्थान के कोषाध्यक्ष पद पर मनोनीत होते आ रहे हैं। इसी प्रकार संस्थान के संयुक्त मंत्री या उपमंत्री पद पर बाल ब्र० श्री रवीन्द्र कुमार जैन (मुझे) पश्चात् श्री हेमचंद जी जैन पहाड़गंज, नई दिल्ली को एवं वर्तमान में श्री मनोजकुमार जैन हस्तिनापुर को मनोनीत किया गयाहै। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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