Book Title: Aryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 727
________________ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रंथ ६५९ - - Aman देवकुरु- उत्तरकुरु क्षेत्र में उत्तम भोग भूमि को व्यवस्था है। यहां पर तीन कोस ऊँचे, तीन पल्य की आयु वाले मनुष्य होते हैं। ये छहों भोगभूमियां शाश्वत हैं इनमें कभी षट्काल परिवर्तन नहीं होता है आज भी ये छहों भोगभूमियां यथास्थान विद्यमान हैं। प्रश्न-हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप में हमने दो सुन्दर-सुन्दर वृक्ष बने हुए देखे हैं। क्या इनका भी आगम में वर्णन है? उत्तर-आगम के अनुसार जम्बूद्वीप के उत्तर कुरु की ईशान दिशा में जम्बूवृक्ष एवं देवकुरु की नैऋत्य दिशा में शाल्मलि वृक्ष हैं। इन वृक्षों की एक-एक शाखा पर जिनमंदिर भी बने हुए हैं उसी के प्रतीक रूप में हस्तिनापुर में भी इन वृक्षों पर १-१ जिनमंदिर बनाये गये हैं। प्रश्न-जम्बूद्वीप में कुल अकृत्रिम चैत्यालय कितने हैं? उत्तर-जम्बूद्वीप में कुल ७८ चिनचैत्यालय हैं जिनका स्थान निम्न प्रकार है सुमेरुपर्वत के = १६ छह कुलाचल के - ६ चार गजदन्त के सोलह वक्षार के चौंतीस विजयार्ध के - ३४ जम्बूशाल्मलिवृक्ष - २ 78 संपूर्ण जम्बूद्वीप में ये ७८ जिनचैत्यालय, अकृत्रिम एवं शाश्वत हैं। प्रत्येक चैत्यालय में १०८-१०८ जिन प्रतिमाएं विराजमान हैं। प्रश्न-आपने बताया था कि जम्बूद्वीप में ६ सरोवर हैं तथा इनके अलावा भी कुछ सरोवर हैं, कृपया इनके नाम, स्थान आदि बताने का कष्ट करें। उत्तर-जम्बूद्वीप में प्रमुख ६ कुलाचल है। हिमवान, महाहिमवान, निषध-नील, रुक्मि और शिखरी। इन सभी कुलाचलों पर प्रत्येक पर १-१ सरोवर हैं जिनके नाम क्रमशः पद्म, महापद्म, तिगिंछ, केशरी, महापुण्डरीक, पुण्डरीक इस प्रकार हिमवान पर्वत पर पद्म नाम का सरोवर है। महाहिमवान पर्वत पर महापद्म नाम का सरोवर है, । निषध पर्वत पर तिगिंछ नाम का सरोवर है । नीलपर्वत पर केशरी नाम का सरोवर है। रुक्मि पर्वत पर महापुण्डरीक नाम का सरोवर है तथा शिखरी पर्वत पर पुण्डरीक नाम का सरोवर है। इन्हीं सरोवरों से गंगा-सिन्धु आदि १४ नदियां निकलकर ७ क्षेत्रों में प्रवेश करके बहती हुई लवणसमुद्र में चली जाती है। अन्य २० सरोवर- इन प्रमुख ६ सरोवरों के अतिरिक्त विदेहक्षेत्र में सीता-सीतोदा नदी के मध्य २० सरोवर हैं। प्रश्न-गोपुर द्वार कितने तथा कहां हैं? , उत्तर-इस जम्बूद्वीप के चारों तरफ वेदिका अर्थात् “परकोटा" है। पूर्व, दक्षिण पश्चिम, उत्तर इन चारों दिशाओं में एक-एक महाद्वार हैं जिनके नाम - विजय, वैजयन्त, जयंत और अपराजित हैं। प्रश्न-जम्बूद्वीप के अन्तर्गत जो ६ मुख्य पर्वत आपने बताये हैं उनकी नाप तथा उनको विस्तृत वर्णन जानने की इच्छा है? उसर-हिमवान आदि ६ कुलाचलों का वर्णन आगम में निम्न प्रकार से पाया जाता है१- हिमवान पर्वत- हिमवान पर्वत का विस्तार अर्थात् चौड़ाई 105212योजन (42084211 मील) प्रमाण है । लम्बाई भरतक्षेत्र की तरफ 1447110 योजन एवं हैमवत क्षेत्र की तरफ 249321 योजन है। ऊँचाई १०० योजन है। हिमवान पर्वत का वर्ण सुवर्णमय है। हिमवानपर्वत पर सिद्धायत्तन, हिमवत, भरत, इली, गंगा, श्रीकूट, रोहितास्या, सिंधु, सुरादेवी, हैमवत और वैश्रवण ये ११ कूट हैं। प्रथम सिद्धायतन कूट पूर्व दिशा में है इस पर जिनमंदिर है। बाकी १० कूटों में से स्त्रीलिंग मामवाची कूटों पर व्यंतर देवियां एवं शेष कूटों पर व्यंतरदेव रहते हैं सभी कूट पर्वत की ऊँचाई के प्रमाण से चौथाई प्रमाण वाले हैं। जैसे हिमवान पर्वत की १०० योजन ऊँचाई है तो कूट २५ योजन ऊंचे हैं। कूटों की चौड़ाई मूल अर्थात् नीचे २५ योजन, मध्य में 183 योजन और ऊपर 121योजन है। इन कूटों पर देवों के व देवियों के भवन बने हुए हैं। २- महाहिमवान् पर्वत- महाहिमवान् पर्वत की चौड़ाई 42010 योजन है। लम्बाई हैमवत क्षेत्र की तरफ 3767416योजन है और हरिक्षेत्र की तरफ इसकी लम्बाई 539319-योजन है। ऊँचाई २०० योजन है यह चांदी के वर्ण का है। . . महाहिमवान पर्वत पर सिद्धकूट; महाहिमवत् हैमवत् रोहित ही कूट, हरिकांता, हरिवर्ष और वैडूर्य ये ८ कूट हैं। ये ५० योजन ऊँचे हैं। सिद्ध कूट पर जिनमंदिर एवं ७ कूटों पर देव-देवियों के भवन हैं। ३- निषध पर्वत- निषध पर्वत की चौड़ाई 168422-योजन है। लम्बाई हरिक्षेत्र की तरफ 73901 17योजन एवं विदेह की तरफ 94156 2. योजन है। इस पर्वत की ऊँचाई ४०० योजन है। “यह पर्वत तपाये हुए सुवर्ण वर्ण का है। निषध पर्वत पर सिंद्धकूट, निषध, हरिवर्ष, पूर्वविदेह, हरित धृति, सीतोदा, अपर-विदेह और रुचक ये ९ कूट हैं। ये १०० योजन ऊँचे हैं। इनका Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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