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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
एक ज्योति से ज्योति सहस्रों जलती जाएं अखिल विश्व में
[रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती]
एक नहीं कितनी गाथाएं इतिहासों में छिपी हुई हैं। वीर शहीदों की स्मृतियां स्वर्णाक्षर में लिखी हुई हैं। नहीं पुरुष की पौरुषता से केवल देश का मस्तक ऊंचा। बल्कि नारियों ने हँस हँस कर माँगों के सिन्दूर को पोंछा ॥ १ ॥
दोनों के सर्वोच्च त्याग ने भारत को आजाद कराया। ब्रिटिश राज्य परतंत्र बेड़ियों के बंधन से मुक्त कराया। आजादी की परिभाषा ने गांधी का अस्तित्व बताया।
रानी लक्ष्मी के रणकौशल ने जग को नारित्व दिखाया ॥ २ ॥ रंग भूमि हो धर्मभूमि या कर्मभूमि की किसी डगर पर। नहीं भेद है कहीं देख लो ब्राह्मी और सुन्दरी का स्वर ॥ वीर प्रभू निर्वाण दिवस से अब तक का इतिहास खुला है। साहित्यिक निर्माण बालसतियों के द्वारा नहीं मिला है॥ ३ ॥
इसी देश की कन्या मैना ने धार्मिक इतिहास को बदला। ज्ञानमती बनकर दिखलाया भारत में अब भी हैं सबला ॥ उन्हीं की पुष्टी में इंदिरा जी के बढ़ते कदमों को देखो।
आज हमें सिखलाती हैं कि देश में शासन करना सीखो॥ ४ ॥ ज्ञानमती ने जंबूद्वीप ज्ञानज्योति का रथ चलवाया। वरदहस्त पा माताजी का इंदिराजी ने हाथ लगाया ॥ धर्मनीति और राजनीति के शुभ भावों का मधुर मेल है। जन-जन को आलोकित करना ज्ञानज्योति का यही खेल है॥ ५ ॥
एक ज्योति से ज्योति सहस्रों जलती जाएं अखिल विश्व में। अन्धकार का नाम नहीं रहने पाए इस अवनीतल में। यूं तो जुगनूं का किंचित् टिमटिम प्रकाश होता रहता है।
किन्तु सूर्य की प्रखरकांति से उसका बल खोता रहता है ॥ ६ ॥ चलो बन्धुओ बढ़ते जाओ कभी शूल से मत घबराना । शूल के पथ को तुम फूलों की कोमलता से भरते जाना ॥ यही महानता है जीवन की ज्ञानमती ने सिखलाया है। अमर विश्व में रहे “चन्दना" जो प्रकाश हमने पाया है॥ ७ ॥
ज्ञानज्योति प्रवर्तन का शुभ संकल्प१८ जुलाई, १९८१ का वह शुभ दिवस, हस्तिनापुर में जंबूद्वीप स्थल पर नवनिर्मित धर्मशाला नं० २ के कमरा नं० १२ में प्रथम मीटिंग थी। आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी ने अपने मस्तिष्क में जंबूद्वीप के मॉडल को संपूर्ण भारत में भ्रमण कराने हेतु एक भाव संजोया था। उसी को मूर्त रूप देने हेतु यह मीटिंग बुलाई गई थी। ८ दिन पूर्व से आयोजित इन्द्रध्वज मंडल विधान विशाल पैमाने पर चल रहा था। अनेक स्थानों के महानुभाव विधान में भाग लेने आए हुए थे। मीटिंग के विषय से प्रभावित होकर कई विद्वान् एवं श्रीमान् भी आज की तारीख में हस्तिनापुर पधारे।
मध्याह्न १.०० बजे से मीटिंग प्रारंभ हुई। मंगलाचरण किया पंडित श्री कुंजीलालजी गिरिडीह वालों ने। संस्थान के मंत्री रवीन्द्र कुमारजी ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई-माताजी की यह इच्छा है कि जम्बूद्वीप के एक मॉडल को रथ के रूप में सुसज्जित करके सारे हिन्दुस्तान में उसका भ्रमण कराया जाए ताकि अहिंसा और नैतिकता का व्यापक प्रचार होकर जंबूद्वीप का महत्त्व जनसामान्य तक पहुँच सके। सर्वप्रथम उस भ्रमण करने वाले रथ के नाम पर विचार करने का निर्णय हुआ, तदनुसार उपस्थित समस्त महानुभावों ने नाम प्रेषित किए
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