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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
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भाषा का साहित्य भी वितरित किया जायेगा। हमारे सौभाग्य से दिगम्बर जैन समाज की महान् साधिका २५०० वर्षों में प्रथम जैन महिला साध्वी लेखिका के रूप में पूज्य आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी का पावन आशीर्वाद हमारे साथ है। इसके साथ ही देश की बहुश्रुत माननीया प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी ने जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति प्रवर्तन योजना का उद्घाटन करके हमारे उत्साह में अगुणित वृद्धि की है। उनका यह सहयोग हमारा सम्बल होगा, जिससे हम इस योजना को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने में सक्षम हो सकेंगे।
कोस्मोलोजी, कोस्मोग्राफी एवं कोस्मोगोनी अर्थात् सृष्टि रचना, सृष्टिवृत्त एवं सृष्टि की आयु के संदर्भ में विश्व वैज्ञानिक समुदाय अनेकशः अपनी धारणाओं को परिवर्तित एवं संशोधित करने के उपरान्त भी मतैक्य नहीं कर पा रहा है। सैद्धान्तिक विज्ञान के अन्य क्षेत्रों के समान ही अलौकिक विश्व से संबंधित इस क्षेत्र में भी विज्ञान के नवीनतम अनुसंधान पूर्ववर्ती अनुसंधानों को अस्तित्वविहीन करते जा रहे हैं। इस श्रृंखला की इतिश्री कहां होगी, कहा नहीं जा सकता, किन्तु मैं यह अवश्य कहना चाहूंगा कि दार्शनिक दृष्टि सम्पन्न प्रख्यात पाश्चात्य वैज्ञानिकों बरटेंडसेलर, जेम्स जीन, जोन मैक्डोनोल्ड आदि के विचारों के अनुरूप दर्शन को विज्ञान से संबंधित कर अलौकिक विश्व की प्रकृति का अध्ययन करना समीचीन ही होगा। इस संदर्भ में विज्ञान की कसौटी पर अनेकशः खरे उतरने वाले जैन दर्शन के इस विषय से संबंधित धारणाओं के नवीन तथ्यों एवं विरोधाभासों के संदर्भ में अध्ययन उपयोगी ही होगा। जैनाचार्यों की जम्बूद्वीप विषयक मान्यताओं का परिचय देने हेतु ही जम्बूद्वीप की हस्तिनापुर में रचना की गई है, जिसकी प्रतिकृति का आज प्रवर्तन हो रहा है।
यह ज्ञान ज्योति वैज्ञानिक समुदाय को चिन्तन की नवीन सामग्री प्रदान करने के साथ ही धार्मिक सहिष्णुता, पारस्परिक बंधुत्व एवं चरित्र निर्माण में सहायक होगी, यही इसका उद्देश्य एवं इसी में इसकी सफलता है।
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