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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
औरंगाबाद जिले में नौ जौलाई तक परिश्रमण हुआ। दस जौलाई सन् तेरासी औरंगाबाद आगमन हुआ। सब जैन अजैन समाजों ने मिलकर स्वागत सत्कार किया। श्री मोतीचंद महामंत्री ने प्रवचन धर्मप्रचार किया ॥ ४० ॥
प्रादेशिक मंत्री, राज्यपाल, सांसद सब जगह पधार रहे। कितने ही न्यायाधीश समय पर आ स्वागत सत्कार करें। उस्मानाबाद व बीड़ जिले के नगरों में भी ज्योति जली।
कुंथलगिरि के दर्शन करके निश्चित शहरों की ओर चली ॥ ४१ ॥ कुलभूषण और देशभूषण की सिद्धभूमि कुंथलगिरि है। चारित्र चक्रवर्ती गुरु की अंतिम समाधि स्थलि भी है। इसलिए यहाँ के दर्शन से वह ज्ञान ज्योति भी धन्य हुई। आगे मराठवाड़ा में स्वागत की विधियाँ सम्पन्न हुई ॥ ४२ ॥
परभणी जिले के बहुत शहर आलोकित हुए ज्योतिरथ से। यह महाप्रवर्तन सफल हुआ सब देशवासियों के बल से॥ सांगली, नागपुर, अमरावति इन सभी जिलों में भ्रमण हुआ।
कोल्हापुर के नांदणी, कोथली से कुंभोज भी पहुंच गया ॥ ४३ ॥ कुंभोज में एलाचार्य मुनी श्री विद्यानंद पधारे थे। निज कर्मभूमि में श्री समन्तभद्र मुनिराज विराजे थे॥ महाराष्ट्र मुख्यमंत्री बसंत दादा पाटिल यहाँ आए थे। गृहराज्यमंत्री, उद्योगराज्यमंत्री आदी भी आए थे॥ ४४ ॥
उद्योगपती लालचंद हीराचंद ब्रह्मचारी भिसिकर भी थे। सरयू दफ्तरी तथा कितने ही मान्य अतिथिगण आए थे। भिसिकर बोले यहाँ ज्ञानज्योति आगमन हुआ मंगलकारी।
कुछ पूर्व विषम स्थितियों को कर दिया ज्योति ने शुभकारी ॥ ४५ ॥ निदय ने ज्ञानज्योति रथ का अवलोकन किया स्वयं जाकर। आशीर्वाद में कहा ज्ञानमति माता सचमुच रत्नाकर ॥ प्रभु वीर की दिव्यध्वनि से जम्बूद्वीप का है संबंध कहा। मुनिवर ने इसको ज्ञानमती की दृढ़ता का प्रतिरूप कहा ॥ ४६ ॥
यहां शोभायात्रा उद्घाटन श्रीमती कुसुमबाई द्वारा । ो गया तथा भिसिकरजी ने स्वागत किया माल्यार्पण द्वारा ॥ फिर विजयादशमी को ज्योतीरथ इचलकरंजी पहुंच गया।
उद्योगराज्यमंत्री ने आकर पुनः ज्योति को नमन किया ॥ ४७ ॥ इन्द्रा कांग्रेस के स्थानीय अध्यक्ष श्री वाविस्कर आए। संचालकजी ने उनको भी उद्देश्य प्रमुख सब बतलाए । हज्जारों नरनारी ने उपस्थित हो धर्मामृत पान किया। महाराष्ट्र प्रान्त अध्यक्ष श्री चन्दू' भाई ने काम किया ॥ ४८ ॥
प्रान्तीय महामंत्री ताराचन्द शाह ने भी सहयोग किया। केन्द्रीय प्रवर्तन समिती के भी लोगों ने सहयोग दिया।
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सरदार चन्दूलाल शाह-बम्बई
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