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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
श्री जे. के. जैन [ संसद सदस्य ] का सम्मान समारोह
५ जून को मोरीगेट स्थित जैन धर्मशाला में श्री जे. के. जैन का उनकी परिश्रमशीलता के लिए संस्थान की ओर से भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष श्री अमरचंदजी पहाड़िया, प्रवर्तन अध्यक्ष श्री निर्मल कुमार सेठी, संरक्षक श्री सेठ पूनमचंदजी गंगवाल आदि अनेक गणमान्य पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे। सर्वप्रथम संस्थान के अनेक सदस्यों ने श्री जे. के. जैन का माल्यार्पण द्वारा भावभीना स्वागत किया। पं. श्री बाबूलालजी जमादार ने भाषण करते हुए कहा कि इतना विशाल कार्य जो निर्विघ्न सम्पन्न हुआ, वह पूज्य माताजी की साधना एवं श्री जे.के. जैन के परिश्रम का ही सुफल है श्रीमान् सेठ अमरचंदजी पहाड़िया कलकत्ता, श्री निर्मल कुमारजी सेठी तथा श्री मोतीचंदजी जैन आदि ने श्री जे. के. जैन के सहयोग के प्रति आभार प्रदर्शित करते हुए भविष्य में इसी प्रकार से सहयोग देने के लिए अनुरोध किया।
इस शुभ अवसर पर पूज्य आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी भी विराजमान थीं। पूज्य माताजी ने श्री जे. के. जैन को उनके कार्यों के प्रति सराहना करते हुए मंगलाशीर्वाद प्रदान किया और अपने आशीर्वाद प्रवचन में कहा कि जिस प्रकार अभी इस प्रवर्तन समारोह में तन-मन-धन लगाकर श्री जे. के. जैन ने सहयोग प्रदान किया है, उसी प्रकार इस ज्योति के प्रवर्तन काल (डेढ़ वर्ष) तक हर प्रकार से सहयोग करना है तथा राष्ट्रीय एवं समाज के कार्य के साथ-साथ इस धर्म कार्य के द्वारा अपने जीवन को समुन्नत करना है। पूज्य माताजी के कर कमलों से जम्बूद्वीप के संबंध में लिखी हुई स्विट्जरलैंड से प्रकाशित दि. जैन कास्मोलोजी पुस्तक श्री जे. के. जैन को प्रदान की गई। श्री जे. के. जैन ने आभार प्रदर्शित करते हुए कहा कि यह जो मेरा सम्मान हो रहा है, यह मेरा अपना सम्मान नहीं है, बल्कि यह धर्म का सम्मान है। मैं कई वर्षों से पूज्य माताजी के संबंध में उनकी ज्ञान एवं साधना के संबंध में सुनता आ रहा था। इस समारोह के सम्पर्क से मैं पूज्य माताजी के ज्यादा निकट में आया, जिससे उनको त्याग, तपस्या व ज्ञान का सर्वांगीण रूप देखने को प्राप्त हुआ। आपने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैंने इस कार्य में कुछ भी सहयोग प्रदान किया है और पूज्य माताजी की आज्ञानुसार जो भी सहयोग मुझसे बन सकेगा, मैं हमेशा देने के लिए तैयार रहूंगा। आपने कहा पं. श्री बाबूलालजी जमादार ने ज्योति के संचालन का जो इतना गुरुतर भार ग्रहण किया, वह बहुत ही प्रशंसनीय है। आपके इस कार्य में समाज का बच्चा बच्चा एवं शासन का हर प्रकार सहयोग आपके साथ है आप निश्चिन्त होकर इस ज्ञानज्योति प्रवर्तन द्वारा धर्म का खूब प्रचार करें तथा ज्योति के उद्देश्यों की पूर्ति में संलग्न रहें।
इस शुभ अवसर पर श्री जैन की धर्मपत्नी श्रीमती निर्मल जैन भी उपस्थित थीं। उन्हें भी पूज्य माताजी ने अपना मंगलाशीर्वाद प्रदान करते हुए धर्म कार्य में पति के साथ सहयोग इसी प्रकार करते रहने की प्रेरणा प्रदान की।
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पूज्य माताजी के सानिध्य में श्री जे. के. जैन सांसद का स्वागत करते हुए श्री निर्मल कुमार सेठी, जैन धर्मशाला, मोरीगेट, दिल्ली ५.६.१९८२ ।
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