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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
का प्रतिष्ठित धातु मॉडल उसके अतिशय को वृद्धिंगत कर रहा था। प्रथम दिवस के ही इस विशाल जुलूस एवं समस्त सुनियोजित कार्यक्रमों से प्रभावित जनसमूह ने इसे महावीर के समवशरण की उपमा प्रदान की थी, सो समुचित ही प्रतीत हो रही थी।
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ग्रीनपार्क दिल्ली में शोभायात्राज्योतिरथ की द्वितीय शोभायात्रा ग्रीनपार्क एक्स, नई दिल्ली में ६ जून को निकाली गई, जिसमें दक्षिण दिल्ली निवासियों ने खूब उत्साहपूर्वक भाग लिया। ग्रीनपार्क का जैन समाज तो यूं भी पूज्य माताजी के अपरिमित गुणों से पूर्वपरिचित है; क्योंकि सन् १९७९-८० के शीतकालीन प्रवास में उनके आर्यिका संघ का मंगल सानिध्य वहाँ के निवासियों को प्राप्त हो चुका था। उस समय वहाँ आर्यिका श्री ने सामायिक शिक्षण-शिविर, ध्यान शिविर, द्रव्यसंग्रह का शिक्षण आदि के द्वारा समाज में नई चेतना जाग्रत की थी तथा उनके सारगर्भित प्रवचनों से दक्षिण दिल्लीवासियों ने अप्रतिम लाभ प्राप्त किया था।
ग्रीनपार्क का वह अल्पकालीन प्रवास इसलिए भी राजधानी में ज्योतिरथ का प्रथम जुलूस । रथ पर बैठे हुए इन्द्र है-श्री जिनेन्द्र प्रसाद जैन ठेकेदार सपत्नीक, उल्लेखनीय बन गया कि जैन समाज के वर्तमान शीर्ष दिल्ली एवं श्री विमल प्रसाद जैन जौहरी सपत्नीक, मोरी गेट, दिल्ली आदि।
नेता साहू अशोक जैन पूज्य माताजी के दर्शनार्थ कई बार
ग्रीनपार्क पधारे और माताजी उन्हें सदैव धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में अपने पिता श्री साहू शांतिप्रसादजी के समान भाग लेने की प्रेरणा प्रदान किया करती थीं।
पूज्य माताजी की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से साहू श्रेयांस प्रसादजी एवं साहू अशोकजी ने दिनांक ३१ जनवरी, १९८० माघसुदी पूर्णिमा को हस्तिनापुर पधारकर जम्बूद्वीप रचना के द्वितीय चरण का शिलान्यास किया। आज प्रसन्नता की बात है कि साहू श्री अशोक कुमारजी अपने पूज्य पिता के आदर्शों पर चलते हुए जैन-समाज के समस्त कार्यों में प्रमुखता से भाग ले रहे हैं।
ज्ञानज्योति प्रवर्तन के समय ब्र० रवीन्द्र कुमार जैन द्वारा दिया गया
दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान का परिचय
आज से ८ वर्ष पूर्व भगवान महावीर स्वामी के २५००वें निर्वाण महोत्सव के शुभ अवसर पर पूज्य आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से एक नितान्त वैज्ञानिक एवं अनुसंधानपरक उद्देश्य को लेकर “दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान" की स्थापना की गई थी। इस संस्थान के मूल उद्देश्य की पूर्ति हेतु जम्बूद्वीप रचना का निर्माण दिल्ली से मात्र १०० कि०मी० दूर महान् ऐतिहासिक नगर हस्तिनापुर में हो रहा है।
भारतीय संस्कृति की जैन, बौद्ध एवं वैदिक आदि अनेक परम्पराओं में जम्बूद्वीप एवं उसके अन्य क्षेत्रों, पर्वतों, नदियों आदि के उल्लेख लगभग समान रूप से पाये जाते हैं, किन्तु इन धर्म ग्रंथों, पुराणों आदि में उपलब्ध विवेचन वर्तमान में वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान के विषय हैं। आज विज्ञान ने असाधारण सफलता प्राप्त की है। अतः विज्ञान के माध्यम से हम उनकी खोज कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से जम्बूद्वीप की प्रतिकृति का सूक्ष्म रूप से निर्माण हस्तिनापुर में किया जा रहा है। इस रचना के निर्मित हो जाने पर जैनाचार्यों द्वारा मान्य भूगोल, खगोल विषयक मान्यताओं के विषय में वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं को विशिष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त होगा एवं अंतर्राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा। जम्बूद्वीप की यह रचना अत्यन्त आकर्षक है। अभी तक हस्तिनापुर में जितनी भी बन चुकी है, उससे इसकी रमणीयता का आभास प्राप्त हो जाता है एवं यह सुनिश्चित है कि इस रचना का निर्माण पूर्ण हो जाने पर यह भारत के अन्य विश्व-विख्यात दर्शनीय स्थलों के समान ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन जायेगी।
आपको बताते हुए प्रसन्नता होती है कि हस्तिनापुर के पुनर्विकास की आधारशिला भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय पं० श्री जवाहरलाल
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