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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
नमन मेरा शत बार है
- आशुकवि-गोकुल चंद्र 'मधुर'
जिन्हें देह से नहीं राग, त्याग-तप जीवन का श्रृंगार है। पूज्य आर्यिका ज्ञानमती को नमन मेरा शत बार है। तुम सौम्य मूर्ति हो दयामयी, वाणी में अमृत-सा प्रवाह । सत् संयम सरल हृदय सच्चा, तुम में तो ज्ञान भरा अथाह ॥ हो महा साध्वी देवी तुम, युग को नव बोध कराती हो। पथ के भूले हर पंथी को, मुक्ती की राह बताती हो॥ पावनमय सतत् साधनों में, चमत्कार साकार है। पूज्य आर्यिका ज्ञानमती को, नमन मेरा शत बार है ॥१॥ तुम में ऐसा जादू माता, जो दर्शन करने जाता है। दुर्व्यसनों को तज देता है, कुछ त्याग साथ में लाता है। समता रस पिया आपने माँ, जग मोह तिमिर को दूर किया। विषयों के विषधर को तप से, कुचला, कर्मों को चूर किया । ऐसे शुचि चरणों की रज से, मिल जाती शांति अपार है। पूज्य आर्यिका ज्ञानमती को, नमन मेरा शत बार है॥२॥
जम्बूद्वीप तीर्थ-स्थल युग-युग गायेगा गाथा । जिसके सम्मुख झुक जाता स्वयमेव हमारा माथा ॥ धाम हस्तिनापुर में माँ ने ज्ञान का अलख जगाया।' रचे अनेकों ग्रंथ विश्व जिनको लखकर चकराया ॥ पूज्य मातश्री के प्रताप से होती जय-जयकार है। पूज्य आर्यिका ज्ञानमती को, नमन मेरा शत बार है॥३॥ तुम इस युग की वरदान बनीं, जिनधर्म का ध्वज फहराया है। जंगल में मंगल कर दीना, ऐसा वैभव बिखराया है। तुम वंदनीय, अभिनंदनीय, मैना, राजुल सम हो महान्। वो नगर टिकैत धन्य सचमुच, में माटी जिसकी पुण्यवान् । है "मधुर" भावना यही कीर्ति को, गायेगा संसार है। पूज्य आर्यिका ज्ञानमती को, नमन मेरा शत बार है॥४॥
लोक नृत्यगीत
-वीरबाल सदन, सरधना (मेरठ)
युग पुरुष नियती ने जब रचना रची संसार की, प्यार ममता से समर्पित, मूर्ति एक नार की। कारी-कारी अँधियारी थी, रात जब सघन गगन से, श्रद्धा के आँगन में उतरी, वो तपस्विनी रूप ले। झुक गये धरती गगन, आश्चर्य विधि का देख के, गंगा-यमुना से ले अमृत, मोह का हलाहल पिया। पूर्णिमा लोरी सुनाये, मावस ने काजल दिया । टिकैतनगर में जन्म लिया, मैना का रूप बन कीर्ति माँ, था दिवस चुना तिथि योग देख, थी शरद ऋतु की पूर्णिमा। व हुई उजागर एक शक्ति,
मुक्ति ने शरण ली चरणों में। ढूँढे जो मिलेगी गिनी-चुनी, उपमा किन्हीं वेद-पुरानों में। जिससे था अछूता आदि पुरुष, उसने वो कुण्डली बना डाली, हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप की रचना, नारी ने कर डाली। हुई प्रज्वलित ज्योति ऐसी कि जग को जगमग कर डाला, ये ज्ञान ज्योति हर युग में जले, हर गली, नगर, हर घर में जले। हे ज्ञानमती माता को नमन ! युगों युगों नमन !! युगों युगों नमन !!!
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