Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथा
१२४
२६९
२७२
विषयानुक्रमणिका . विषय
गाथा | विषय लोकविभागाचार्यके मतानुसार ज्योतिष- दोनों सूर्योका अन्तर
२३४ नगरियोंका बाहल्य ११५ | सूर्यबिम्बका विस्तार
२४१ चन्द्रोंकी संचारभूमि ११६ सूर्यपोंका प्रमाण
२४२ ध्रुवराशिका प्रमाण
१२३ मेरु आदिकी परिधियां चन्द्रवीथियोंका अन्तर
समान कालमें असमान परिधियों के परिद्वितीयादि वीथियोंमें स्थित चन्द्रका __ भ्रमण कर सकनेका कारण मेरुसे अन्तर
१२८ । सूर्यके गगनखण्ड दोनों चन्द्रोंका अन्तर
१४३ सूर्यका मुहूर्तपरिमित गमन चन्द्रपथपरिधियों का प्रमाण १६१ केतुके नगरस्थल समान कालमें असमान परिधियों के परि- प्रथमादि पोंमें दिन-रात्रिका प्रमाण २७६
भ्रमण कर सकने का कारण १७९ आतपक्षेत्र व उसका प्रमाण चन्द्र के गगनखण्ड
१८० तिमिरक्षेत्रका प्रमाण चन्द्र के वीथीपरिभ्रमणका काल १८३ | आतप और तिमिर क्षेत्रका क्षेत्रफल ११६ चन्द्रका एक मुहूर्तपरिमित गमनक्षेत्र १८५ सूर्योके उदय व अस्त होनेके समयकी राहुविमानका वर्णन
२०१/ कुछ विशेषतायें पूर्णिमाकी पहिचान
२०६ उत्कृष्ट चक्षुस्पर्शक्षेत्रका प्रमाण । अमावस्याको पहिचान
२०७ चक्रवर्ती द्वारा सूर्यबिम्बका दर्शन .... ४३२ . चान्द्र दिवसका प्रमाण
२१३ भरत क्षेत्रमें सूर्यके उदित होनेपर क्षमा प्रतिपद्ो पूर्णिमा तक क्रमशः होनेवाली आदिमें दिन-रात्रिका विभाग ...४३५ एक एक कलाकी हानि
२१४ | ऐरावत क्षेत्रों सूर्यके उदित होनेपर दिनप्रकारान्तरसे चन्द्रका कृष्ण व शुक्ल __ रात्रिका विभाग
रूप परिणत होनेका निर्देश २१५ चक्रवर्ती ५५७४२३३ यो. से अधिक पर्वराड्ड द्वारा चन्द्रका आच्छादन २१६ दूरीपर सूर्यबिम्ब नहीं देख सकते ४४६. सूर्यकी संचारभूमि
२१७ दोनों सूर्योंके प्रथम मार्गसे द्वितीय सूर्यवीथियां व उनका विस्तारादि २१९ मार्गमें प्रविष्ट होनेकी दिशायें . १४९ सूर्यवीथी और मेरुके बीच अन्तर २२१ सूर्यके बाह्य मार्गमें स्थित होनेपर दिनसूर्यकी ध्रुवराशि २२२ । रात्रिका प्रमाण
४५२. सूर्यपयों के बीच अन्तरका प्रमाण २२३ सूर्यके उदयस्थान प्रथमादि पोंमें सूर्यका मेरुसे अन्तर २२८ ग्रहप्ररूपणा
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