Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 603
________________ Jain Education International १०..1 |ति. प.., १५-२२| त्रि. सा. ३६३. बुध कालविकाल विकालक लो. प्र. २०-४०२ | कार्योपक | कर्बुरक शुक्र लोहित कनक अजकरक बृहस्पति । मंगल शनि कनकसंस्थान दुंदुभक अन्तरद शख - कवयव For Private & Personal Use Only ८८ ग्रह लो. प्र. २०-७०२ ति. प.., २५-२२| त्रि. सा. ३६३ १५ | रक्तनिभ स वर्ण अङ्गारक नीलाभास कस | लोहिताङ्क अशोकसंस्थान शंखपरिणाम शनैश्चर शववर्ण आधुनिक रूपनिभ उदय प्राधुनिक कंसकवर्ण पंचवर्ण शंखपरिणाम | तिल तिलपुच्छ | तिलपुच्छ शंखवर्ण क्षारराशि कणवितानक उदकवर्ण | धूम कणसंतानक धूम्रकेतु सोम | एकसंस्थान | सहित अज्ञ ( अक्ष) अग्रसेन कलेवर लोहित निलोपण्णसी शंखनाम शंखवर्णाभ कंस कण कणक कणकणक कंसनाभ रक्तनिम रूपनिर्भास | नील नीलाभास विकाल | कंसवर्णाभ | केश २५ पंचवर्ण नील कवयव उत्यात नीलावभास रूपी | कनकसंस्थान । अश्वस्थान दुंदुभक | कोश रूपावभास www.jainelibrary.org

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