Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 623
________________ तिलोयपण्णसी - IS तीर्थ. ४७ मोक्षनक्षत्र मोक्षकाल मोक्षस्थान सहमुक्त योगनिवत्ति पूर्वाह्न ० कैलाश सम्मेदशिखर १००० । उत्तराषाढा भरणी ज्येष्ठा पुनर्वसु मघा. अपराल पूर्वाह्न ॐ ॐ ॐ * अपराह्न चित्रा ३२४ पूर्वाह्न ५०० अनुराधा ज्येष्ठा ० ० अपराह्न पूर्वाह्न पूर्वाषाढा धनिष्ठा अश्विनी पूर्वभाद्रपदा ६०१ अपराह्न प्रदोष चम्पापुर सम्मेदशिखर ० ० रेवती ७००० ८०१ प्रत्यूष प्रदोष पुष्य भरणी ० ० १००० कृत्तिका रोहिणी ५ प्रत्यूष प्रदोष भरणी ० १००० प्रत्यूष प्रदोष श्रवण अश्विनी चित्रा. विशाखा स्वाति an ऊर्जयन्त सम्मेदशिखर पावानगरी | एकाकी प्रत्यूष २ दिन पूर्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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