Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 612
________________ Jain Education International भावन-इन्द्र इन्द नाम । भवन प्रतीन्द्र सामानिक त्रायविंश | भादिम पारिषद मध्य सात भनीक तनुरक्ष कोकपाल | शेष प्रकीर्णकादि । देवियों ३ लाख १ ६४हजार ३३ २८ ५५६८९६००० ४ उपदेशका अभाव | भमुरकु. २५६००० २४०००० वरोचन उ. , ५५३३४०००० १९७८४००० २२४००० नागकु. |१.४४४५०००० २००००० भूतानन्द द. (धरणानन्द उ. (वेणु द. ( वेणुधारी उ. ४४००० ३०००० For Private & Personal Use Only पकु. जलप्रभ द. उदधिकु. जलकान्त उ. स्तनितकु. . १०, महाघोष उ. (हरिषेण द. हरिकान्त उ. (अमितगति द.. अमितवाहन उ. अग्निशिखी द. अग्निवाहन उ. (वेलम्ब द. (प्रभंजन उ. वायुकु. www.jainelibrary.org TP. 127

Loading...

Page Navigation
1 ... 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642