Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
View full book text ________________
९८०]
तिलोयपण्णत्ती
सुसीमा
४-७६४ हनुमान्
सुसेना सुरदेव सुरादेवी सुरूपदत्त
५-८४ हरि
४-२७८१ ४-१५९२
८-२७६ ४-१५९२
सुलसा
सुलोका सुवत्सा सुव्रत सुव्रता सुस्वरा सूर्यप्रभा सूर्यसेन
४-५३१६-४७, सेन ७-५८, ८-३१६ सेवक
४-१५८५ ४-५२८ सोम ४-१५७९ सौदामिनी
५-१६३ हयग्रीव ५-१५५ सौधर्म ४-१५८६ सौम्या
६-५१ हरिकण्ठ ६-५४ स्थिरहृदय
५-१३३ हरिकान्त ४-११८० स्वयंप्रम
४-१५७९ हरिचन्द्र ४-२०४३ स्वयंप्रभा
४-४२२ हरिदाम ४-५१३ स्वयंभू ४-५१८, ९६५, १५८१ हरिषेण ४-५४०, १९७९ स्वरसेना
६-४१ हरिषेणा स्वरूप
६-४७ हेममाला ७-७६ स्वस्तिक ४-५४२ स्वाति देव
४-२७८०
४-१५८९
८-२७४ ३-१५, ४-५१५
४-१९७९
८-३१७ ४-१७२८, ५-१५८
विशेष-शब्द-सूची
अ
। ८०.
७-२१ अनय
अद्धापल्य १-९४ अप्कायिक
५-२७८ भकामनिर्जरा ८-५६३ अद्धारपल्य १-१२९ अप्रतिघात
४-१०३१ अक्षीणमहानस ऋद्धि ४-१०९० अधर्म
१-९२ अप्रतिष्टित प्रत्येक ५-२७९ अक्षीणमहालय ४-१०९१ अधिराज
-४० अप्रत्याख्यानावरण २-२७४ अग्निज्वाल
-१८ अभयंकर
७-२१ अग्निरुद्र २-३४९ अनलाभ
६२० अभव्य
२-२८१ अग्निशिखाचारण ४-१०४१ अनुतंत्रकर्ता
१-८० अभिजित् १-६९, ७-२८ ७-२२ अनुबद्ध केवली ४-१२१२, १४७७ अभिन्न
७-१८ अघोरब्रह्मचारित्व ४-१०५८ अनुभाग
१-३९ अभिन्नदशपूर्वी ४-९९९ अचक्षुदर्शन २-२८० अनुराधा
७-२७ अमम मचलात्म ४-३०७ अनुसारी ४-९८१ अममांग
४-३०१ भटट ४-३०० अन्तरद
७-२२ अमृतास्रवी
४-१०८४ मटटांग ४-३०० अन्तरद्वीप
४-१३९६ अयन ४-२८९, ७-४९८ मणिमा ४-१०२६ अपराजित
७-२१ अरिष्ट ७-२७२, ८-६१९ अतिशय ४-८९८, ९०६ अपर्याप्त
.५-२८० अर्थकर्ता
अघ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642