Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 582
________________ व्यक्ति-नाम-सूची [९७९ वृषभ वेणु वेणुदेवी वेणुधारी चेलम्ब वैजयम्ता चैजयन्ती वैताढ्यकुमार चैताब्यव्यन्तर वैदर्भ वैरोचन बैरोटी चैलक्षणा वैश्रवण ४-२७५, ५१२ श्रीमती ३-१४, ४-२१६५ श्रीवत्समित्रा ४-५३६ श्रीवृक्ष ३-१४, ४-२१६५ श्रीषेण ३-१६, ४-२७८२ श्रृतदेवी ____५-१४८ श्रेणिक - ५-१७५ श्रेयांस ४-१६८ ४-१३२३ ४-९६४ षण्मुख ३-१४ ४-९३८ ८-३१७ सगर ४-१७०,२१३१, सत्पुरुष २७७८ सत्यक्रिपुत्र श ४-१४९६ सत्या शकराजा शतपदा शतारेन्द्र शशांक शंख शान्ति शालिदेव शिखिकण्ठ शिव शिवदेव शिवदेवी शीतल शुक्रेन्द्र ‘शेषवती श्री श्रीकण्ठ श्रीकान्त श्रीचन्द्र 'श्रीदेवी श्रीधर श्रीप्रभु श्रीमूति ५-१६७ सनत्कुमार ५-९२ ४-१५८५ सन्मति ४-१५८५ समाधिगुप्त ४-५१३ समाहारा ४-१७१२ समुद्र विजय ४-१५९२ सम्भव ४-२४६५ सरस्वती ४-२४६५ सर्वगन्ध ४-५४७ सर्वप्रभ ४-५१२ सर्वयशा ५-९० सर्वश्री ५-१५२ ४-१४८०५-१५८ सर्वसेना ४-१५९२ सर्वात ४-१५८८ सहस्रारेन्द्र ४-१५८९ संवर । ४-३६३९, १६७२ सात्यकिसुत ४-१४७९, ५-४३ सिद्धार्थ ५-४० ४-१५८८ सिद्धायिनि ४-४७१, ५४२ सिद्धार्थी ४-५२९ ४-२०४३ सिंधुदेवी ४-२६२, १३४८ ५-१३३ सिंहचन्द्र ४-१५८९ ४-१५८८ सिंहसेन ४-५३९ ४-१६३९ सीता ४-१५८४ सीमंकर ४-४४८. ४-५१३ सीमंधर ४-४५३ सारी ४-१५८५ । सुकंठ ४-१५९२ ४-९३५ सुकंद सुगंध ५-४७ सुग्रीव ४-५३४ ४-५१५ सुघोषा ६-५२ ६-३७ सुचक्षु ५-४० ४-१५८६ सुचन्द्र ४-४८४, ५-१५८ सुदर्शन ४-५१७, ५४३, २७७९ ४-५१५, १६३९, सुदर्शना ६-४९ ५-८६ सुदर्शनिका ६-५४ ४-४३० सुधर्म ४-५१७, १४८६ ४-१५८० सुधर्म स्वामी ४-१४७६ ५-१५१ सुनन्द ४-१५८५ ४-५४७ सुनन्दा ४-४४० ४-५१२ सुन्दर ५-१३३ ६-४१ सुपार्श्व . ४-५१२, १५७९ ५-४७ सुपार्श्वचन्द्र ४-१४८९ ४-१५७९ सुप्रकीर्णा ५-१५२ ४-५३९ सुप्रतिष्ठ ४-५२०, ५३२ ४-११८९, १५२१; सुप्रबुद्ध ४-२७७९ ६-५३ सुप्रभ ४-५१७, ९६६, ५-४३ ६-५३ सुभद्र ४-१४९०, ५-४६ ४-१६३९ सुभद्रा ६-५३ ५-९३ सुभौम ४-५२९ सुमति ४-४५८,५१२ ४-५२१ सुमित्र ४-५४५ ४-५४९, १४८५, सुमुखी २७७८ सुमेघा ४-१९७६ ४-९३९ सुमेधा ४-९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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