Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 587
________________ ९८४] तिलोयपण्णची मल पुष्पक ८-४३८ ० ४-२९३ पंच महाकल्याणक ४-२२८२ प्राण ४-२८४ मध्यम ८-२५८ पंचवर्ण ७-१७ प्रतिहार्य ४-७८१, ९२८, मनःपर्यय ४-९६९ पंचाग्नि तप ४-२५० २२८२ मनु ४-५०० पंचाश्चर्य ४-६७४ प्राप्ति ऋद्धि ४-१०२८ मनुष्यणी ४-२९२५ पाद १-११४ प्राशुक ४-१५२५ मनोबल ऋद्धि ४-१०६२ पारिणामिकी ४-१०२० प्रीतिकर ८-४२९ मनोहर ८-४३९ पांडु ४-७३९, १३८४ मरुदेव ८-६२३ पिंगल ४-७३९, १३०४ पुद्गल १-९२, ९९ | फलचारण ऋद्धि ४-१०३८ मलौषधि ऋद्धि ४-१०७१ पुनर्वसु ७-२६ महाकाल २-३४८; ४-७३९ पुष्कर मेघ ४-१५५८ १३८४, ७-१९ बद्धायु ८-५४१ महाखर २-३४८ बलदेव २-२९१ महाग्रह पुष्पचारण ऋद्धि ४-१०३ ७-२२ बह्निसुर ८-६१७ महातप ऋद्धि पुष्य ७-२६ ४-१०५४ बादर ५-२७८ महाबल पूर्व ४-२९३ २-३४८ बालुक ८-४३८ महामाषा पूर्वधर ४-१०९८ बीजबुद्धि ४-९६९ महामण्डलीक पूर्वभाद्रपदा १-४१,४७ बुद्धि ऋद्धि ४-९६८ महाराज पूर्वाङ्ग १-४०, ४५ ७-२६ बुद्धिसमुद्र ४-१३७७ पूर्वा फाल्गुनी महारुद्र २-३४८, ७-१९ पूर्वाषाढ़ा बृहस्पति ७-१५ पृथिवीकायिक ५-२७८ महालतांग प्रज्ञाश्रमण ४-९७१, १०१७ महावत प्रतरांगुल १-९३, १३२ महिमा ४-१०२७ प्रतिक्रमण ७-२८ महोरग ४-२५, ६-२५ भवन प्रतिष्ठित प्रत्येक ३-२२, ६-६ मंगल १ -७, ९, १४, ७-१५ प्रतिसारी ४-९८२ भवनपुर ३-२२, ६-६ मंडलीक १-४०, ४६ भावश्रमण प्रतीन्द्र ४-१२३८ माणवक ४-७२९; ७-१८ भासुर ७-२० मादिन्ति प्रत्येकबुद्धित्व ४-९७१, १०२२ ८-४४० भिन्नमुहूर्त प्रत्येकशरीर ४-२८८ मानव ४-१३८४ भोगभूमि ४-३२७ मानस्तम्भ ४-७८२ प्रदेश १-९५ भौम निमित्त ४-१००५ मानस्तम्भक्षिति प्रमाण १-७, ५३,6 ४-७६१ मारणान्तिक प्रमाणांगुल १-१०७ २-८ मारुतचारण ऋद्धि ४-१०४७ प्रलम्ब ७-२० मक्कडतंतुचारण ऋद्धि ४-१०४५ मालास्वप्न ४-१०१६ प्रलय ७-२६ 'मास ४-२८९ प्रवीचार ८-३३६ | मटंब ४-१३४, १३९४ मिश्रयोनि ५-२९३ प्राकाम्य ऋद्धि ४-१०२९ मधुस्रवी ४-१०८२ मुखमण्डप ४-१८९१ 66 GB | ७ MW . ७-१५ महालता . ९-४९/भरणी ५-२७९ ३-६५ ५-२७९ ३ ४-१५४४ मघा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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