Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 592
________________ [ ९८९ : चयहदमिछूणपदं चयहदमिट्ठाधियपद जीवाकदितुरिमंसा जीवाविक्खंभाणं जेट्टम्मि चावपट्टे जेठाए जीवाए तक्खय-वड्विपमाण ५-२६१ ५-२४१ कुछ संज्ञा-शब्दोंकी तुलना . २-६४ दुचयहदं संकलिदं २-८६ | रुंदद्धं इसुहीणं २-७० पददलहदवेकपदा २-८४ लक्खविहीण रुंदै ४-१८२ पददलहिदसंकलिदं -८३ लक्खूणइट्ठरुंदै ४-२५९७ पदवग्गं चयपहदं -७६ लक्खणोणं रुंद ४-१८९ पदवगं पदरहिदं २-८१ लवणादीण रुंद ४-१८७ बाहिरसूईवग्गो ४-२५२५ वाणजद १-१७७ भुज-पडिभुजमिलिदई १-१८१ वाणविहीणे वासे १-१९४ भूमिय मुई विसोहिय १-१७६ वासकदी दसगुणिदा ५-२४१ भूमीए मुहं सोहिय १-१९३ विक्खंभद्धकदीभो ४-२७६३ " ४-२४०३ समववासवग्गे ४-२५२१ मुह भूविसेसमद्धिय १-१६५ सूजीए कदिए कदि ४-१८१ ७-४२२ तिगुणियवासा परिही दुगुणाए सूजीए दुगुणिच्चियसूजीए ४-२०११ लोकप्रकाश चित्रा चित्रा रत्नकाण्ड r mo गोमेद कुछ संज्ञा-शब्दोंकी तुलना खर-भागके १६ भेद क्रम । तिलोयपण्णत्ती हरिवंशपुराण | त्रिलोकसार संख्या २,१०-१८ ४, ५२-५४ १४७-१४८ १ | चित्रा वज्रा वज्रा | लोहितांक वैडूर्या वैडूर्या असारगल्ल लोहितांका लोहिता गोमेदक (गोमज्जयं) मसारगल्व मसारकल्पा प्रवाल गोमेदा ज्योतीरस प्रवाल प्रवाला अंजन द्योती ज्योतिरसा अंजनमूल अंजना अंक अंजना अंजनमुलिका स्फटिक अंका चन्दन अंग ( अंक) स्फटिका स्फटिक चंदना बहुला चन्द्रमा सर्वार्थका वर्चक बकुला १६ / पाषाण | शैला ur १ रसा वज्रकाण्ड वैडूर्य लोहित मसारगल्ल हंसगर्भ पुलक सौगंधिक ज्योतीरस अंजन अंजनपुलक रजत जातरूप अंक स्फटिक | रिष्टकाण्ड अंजनमूल वर्चगत शला । बहुशिलामय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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