Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 596
________________ विद्याधर-नगरियां दक्षिणश्रेणीकी ५० ति. प. ४, ११२-१७ह. पु. २२,९३-१०१ आ. पु. १९, ३२ | त्रि. सा. ६९६ लो.वि.१,२१.२९ किंनामित किन्नरगीत * बहुकेतु, * * * * * वैजयन्त * * * | किनामित | किन्नरगीत नरगीत बहुकेतु पुण्डरीक सिंहध्वज श्वेतकेतु गरुडध्वज श्रीप्रभ | श्रीधर | लोहार्गल | अरिंजय वज्रार्गल वज्राढ्य | विमोचिता जयपुरी शकटमुखी | चतुर्मुख | बहुमुख अरजस्का रथनूपुर किंनामित किनामित आनन्द किन्नरगीत किन्नरगीत चक्रवाल नरगीत नरगीत अरिंजय बहुकेतुक मण्डित पुण्डरीक पुण्डरीक बहु केतु शकटामुख सिंहध्वज सिंहध्वज गन्धसमृद्ध श्वेतकेतुपुर श्वतध्वज शिवमन्दिर गरुडध्वज गरुडध्वज श्रीप्रभ श्रीप्रभ रथपुर श्रीधर श्रीधर श्रीपुर लोहार्गल लोहार्गल रत्नसंचय अरिंजय अरिंजय आषाढ वज्रार्गल वज्रार्गल मानव वज्राट्य वज्राट्यपुर सूर्य विमोच विमोचि स्वर्णनाभ पुरंजय पुरंजय शतहृद शकटमुखी शकटमुग्वी अंगावर्त चतुर्मुखी | चतुर्मुखी जलावर्त बहुमुखी | बहुमुखी आवर्त अरजस्का अरजस्का बृहद्गृह विरजस्का विरजस्का शंखवज्र रथनूपुर चक्रवाल रथनूपुर बज्रनाम | मेखलामपुर मेग्वलासपुर नरगीत बहुकेतु पुण्डरीक सिंहध्वज श्वतध्वज गरुडध्वज श्रीप्रभ श्रीधर लोहार्गल अरिंजय वज्रार्गल वज्राढ्य विमोची पुरंजय शकटमुखी चतुर्मुखी बहुमुखी अरजस्का विरजस्का * * * * ะ ะ ะ ะ विरजस्का रथनूपुर रथनपुर २३ | मेखलामपुर | मेखलामपुर TP, 125 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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