Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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श्रीन्द्रिय
त्रुटित
विशेष-शब्द-सूची
[ ९८५ तप ऋद्धि
४-१०४९ दूरास्वाद ४-९७०,९८० नव निधि तप्ततप ऋद्धि ४-१०५३ दृष्टिनिर्विष ऋद्धि ४-१०७६ नाथ वंश
४-५५० तमस्काय ८-५९८ दृष्टिवाद
१-९९, १४८ नाली १-११५,४-२८७ तमोराजि ८-६५९ दृष्टिविष ४-१०७९ निक्षेप
१-८३ तिल
७-१७ देवच्छन्द ४-१६३७, १८३५ निदान
४-१५९० सिलपुष्छ
७-१७ देश १-९५, ४-१३९२ निधि तुषित ८-६१८ देशयम २-३५६ निमित्त ऋद्धि
४-९७१ तेजकायिक ५-२७८ देशविरत
७५ नियुत
४-२९४ असनाली १-१६७ द्रव्य मल
१-१० | नियुतांग
४-२९५ त्रसरेणु १-१०४ द्रव्य मंगल
1-२० निर्ग्रन्थ
८-५६, ५-२८० द्रोणमुख
४-१३४, १३९५ निर्दुःख ४-२९९ द्वादशांगधर
४-१४८३
निमन्त्र त्रुटितांग ४-२९९ द्विचरमदेह ८-६४४, ६७५
निर्माणराज
८-६२२ त्रुटिरेणु १-१०४ वीन्द्रिय
५-२८०
निर्वृत्यपर्याप्त निलय
७-१८ निवृत्ति
९-१९ दक्षिण अयन
७-२८ निश्चय काल
४-२८२ दक्षिण आवृत्ति
४-९१३ निश्चल - दर्शनमोह १-७३ धातकी वृक्ष ४-२६०० निषाद
८-२५८ दशपूर्वधर ४-१४८६८-५५७ धाराचारण ऋद्धि ४-१०४४ नील दशपूर्वित्व ४-९७१,१००० धूमकेतु
७-१७ नीलाभास दशांग भोग ४-१३९७ धृमचारण ऋद्धि ४-१०४२ नोकर्म
९-१३ १-११५ धूलिसाल
४-७३३ दिगन्तरक्षित ८-६२२ धैवत
८-२५८ दिनराहु ७-२०५ ध्रुवभागहार ८-६८८ पट्टन
४-१३९४ दिवस
४-२८८ ध्रुवराशि ७-१२२, २२२ पत्रचारण ऋद्धि ४-१०४० दिव्यध्वनि १-७४; ४-९०३
पदानुसारित्व
४-९६९ दिशसंस्थित ७-२०
पद्म ४-२९६, ७३९, १३८४ दीप्ततप ऋद्धि ४-१०५२ नगर
४-१३९३ पांग दुर्ग ४-१३९६ नदीमुखमत्स्य ४-२५१६ परमाणु
१-९५ पुष्पम ४-३१७ नभ
७-१७ परिव्राजक
८-५६२ दुष्पमदुष्षम ४-३१७ नभखण्ड
७-१७ परीषद दुंदुभक ७-१६ नभनिमित्त ४-१००३ पर्याप्त
५-२८० কুমাল
४-९६९, ९९२ नभस्तलगामित्व ४-१०३३ पर्याप्त मनुष्य ४-२९२५ ४-९७०, ९९७ नय
१-८३ पर्वराहु
७-२१६. दूरप्रवण ४-९७०, ९९५ नलिन
४-२९७ पल्योपम
१-९२ ४-९७०, ९९० नलिनांग
४-१९७ पंचम
७-५०० धनिष्ठा ७-५२६ धर्मचक्र
दूरदर्शन
दूरस्पर्श
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