Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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विशेष-शब्द-सूची
मुहूर्त
यूक
मुरुड वंश ४-१५०६ रूपनिभ
७-१६ विकलेन्द्रिय .
५-२७८ १-७९, ४-२८७ रेवति
७-२० विकस मूढ़ता १-५१ राक्षस
६-२५ विकाल ७-२७ रोहिणी ४-९९८७-२६ विक्रिया
४-१०२५ मूलतंत्रकी १-८०
विक्रियाऋद्धिधारी ४-१०९० मूसल १-१९५
विजय मृगशीर्ष ७-२६ लक्षण १-५८ विजय वंश
४-१५०६ मेघचारण ऋद्धि ४-१०४३ लक्षण निमित्त ४-१०१० विजिष्णु
७-१८ म्लेच्छक्षिति ४-२३९७ लक्ष्मी ८-४४० वितस्ति
१-११४ लघिमा ४-१०२७ विद्याधर
४-१०९ लता ४-३०४ विद्युज्जित
७-१८ यक्ष
लतांग
४-३०४ विद्युत्कुमार यम
४-२८७ विपुल यव
लाभान्तराय ४-१०८९ विपुलमति
४-१०९८ यशस्वान् ६-३६ लीख
१-१०६ विप्रौषधि ऋद्धि ४-१०७२ यादव वंश ४-५५० लोकपाल
३-६६ विमंग
३-१८९, ८-५७३ युग १-७०, ११५, ४-२८९; लोकपूरण
१-२३ विमल
८-४४०७-२१ ७-५३० लोकाकाश १-११, १३४ विरत १-१०६ लोहित
७-१५ विलसित
२-३४८ योगनिवृत्ति ४-१२०९ लोकान्तिक
८-६१४ विशाखा योजन १-११६
विश्व
८-६२४ योनि ५.२९५, ८-७०१
विषुप
७-५२७, ५३७ वचनबल ऋद्धि ४-१०६४ विस्रसोपचय
८-६८० वचननिर्विष ऋद्धि ४-१०७४ वीतशोक
७-२० रक्तनिभ ७-१६ वनस्पतिकायिक ५-२७९ वीर्यान्तराय
४-९८७ रत्न ४-१३४२ वरुण ३-७१,८-६१८ वषकोष्ठ
८-१२२ रत्नत्रय १-८४ वर्ष ४-२८९ वेद
३-१३० रथरेणु वशित्व
२-२८२ रम्यक ८-४३९ वसुदेव
८-६२३ वैजयन्त रस १-९७ व्यवहार पल्य १-९४, १२२ वैनयिकी
४-१०२१ रस ऋद्धि
४-१०७७ व्यंजन निमित्त ४-१००९ रसगारव ४-२५०४ वातवलय
१-२६७ राजा
१-४० वादित्व ४-९७१,१०२३ राजु
१-१३२ वादी रिक्कु
१-११४ वायुकायिक २.३४८७-१९ वाहनदेव
३-२०३ शबल
२-३४८ रुद्रमुहूर्त १-७० विकट
७-२१ शरीररक्ष TP. 124
४-१०३० वेदक
४-१०९० शतभिषा ५-२७० शनि
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