Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-५.२१] पंचमो महाधियारो
[५६१ पढमो जंबूदीओ तप्परदो होदि लवणजलरासी । तत्तो धादइसंडो दीओ उवही य कालोदो ॥ १३ पोक्खरवरो त्ति दीओ पोक्खरवरवारिही तदो होदि । वारुणिवरक्खदीओ वारुणिवरवारिही वि तप्परदो॥१४ तत्तो खीरवरक्खो खीरवरो होदि णीररासी य । पच्छा घदवरदीओ घदवरजलधी य परो तस्स ॥ १५ खोदवरक्खो दीओ खोदवरो णाम वारिही होदि । गंदीसरवरदीओ गंदीसरणीररासी य ॥१६ भरुणवरणामदीओ अरुणवरो णाम वाहिणीणाहो । अरुणब्भासो दीओ अरुणब्भासो पयोरासी ॥ १७ कुंडलवरो त्ति दीओ कुंडलवरणामस्यगरासी य । संखवरक्खो दीओ संखवरो होदि मयरयरो ॥१८ रुजगवरणामदीओ रुजगवरक्खो तरंगिणीरमणो । भुजगवरणामदीओ भुजगवरो अण्णओ होदि ॥ १९ कुसवरणामो दीओ कुसवरणामो य णिग्णगागाहो । कुंचवरणामदीओ कुंचवरणामआपगाकंतो ॥ २० अभंतरभागादो एदे बत्तीस दीववारिणिही । बाहिरदो एदाग साहेमि इमाणि णामाणिं ॥२॥
प्रथम जम्बूद्वीप, उसके परे लवणसमुद्र फिर धातकीखण्डद्वीप और उसके पश्चात् कालोदसमुद्र है ॥ १३॥
तत्पश्चात् पुष्करवरद्वीप व पुष्करवरवारिधि और फिर वारुणीवरद्वीप व वारुणीवरसमुद्र
___ उसके पश्चात् क्रमसे क्षीरवरद्वीप, क्षीरवरसमुद्र और तत्पश्चात् घृतवरद्वीप व घृतवरसमुद्र है ॥ १५॥
पुनः क्षौद्रवरद्वीप, क्षौद्रवरसमुद्र और तत्पश्चात् नन्दीश्वरद्वीपं व नदीश्वरसमुद्र है ॥१६॥ इसके पश्चात् अरुणवरद्वीप, अरुणवरसमुद्र, अरुणाभासद्वीप और अरुणाभाससमुद्र
पश्चात् कुण्डलवरद्वीप, कुण्डलवरसमुद्र, शंखवरद्वीप और शंखवरसमुद्र है ॥ १८ ॥ पुनः रुचकवर नामक द्वीप, रुचकवरसमुद्र, भुजगवर नामक द्वीप व भुजगवरसमुद्र है
तत्पश्चात् कुशवर नामक द्वीप, कुशवरसमुद्र, क्रौंचवर नामक द्वीप और क्रौंचवरसमुद्र है ॥२०॥
ये बत्तीस द्वीप-समुद्र अभ्यन्तर भागसे हैं । अब बाह्य भागमें द्वीप-समुद्रोंके नामोंको कहता हूं जो ये हैं-॥ २१ ॥
१६ ब पोक्खरवा.
२द ब वारुणिवरंदीवि.
३द रमणाओ.
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