Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 501
________________ ८५८ तिलोयपण्णती ७-५४ ४-८०८. ४-१६६३ ४-१७५७ ४-२००३ ७-५२ २-८ उप्पण्णे सुरभवणे उप्पत्तिमंचियाई उप्पत्ती तिरियाण उत्पत्ती मणुवाणं उप्पलगुस्मा णलिणा उप्पह उवएसयरा उप्पादा. अघोरा उभंतरयणसाणू उभयतड़वेदिसहिदा उभग्रेसिं परिमाण उम्मग्गसंठियाणं उल्लसिदविभमाओ उवदेसेण सुराणं उवमातीतं ताणं उवरिमखिदिजेट्ठाऊ उपरिमजलस्स जायण स्वरिमतलविक्खंभा १-१०३ ४-१५३२ ७-९५ उवरिमतलविक्खंभो ३-११० उववणपोक्खरणीहिं ४-२३१८ उववणवाविजलेणं ५-२९३ | उबवणवेदीजुत्ता ४-२९४८ उववणसंडा सव्वे ४-१९४६ उववणसंडेहिं जुदा ३-२०५ उववादमंदिराई ४-४३३ उववादमारणंतिय ४-४७ उववादसभा विविहा ४-२६० उवसण्णासण्णो वि य १-१८६ उवहिउवमाउजुत्तो उवहिउवमाणजीवी ५-२२५ ४-१३३९ उवहिउवमाण णउदि २-२०८ उवहिउवमाणणवके ४-२४०५ उवहिउवमाणतिदए उवही सयंभुरमणो उवहीसु तीस दस णव ७-९१ उसहजिणे णिव्याणे ७-९८ उसहतियाणं सिस्सा उसहमजियं च संभव ७-८५ उसहम्मि थेरुदं ४-७८० १-१३८ उसहादिदससु आऊ उसहादिसोलसाणं ८-२०८ उसहादी चउवीसं ४-१८०८ ७-४३३ उसहादीसुं वाला ४-२११६ उसहो चोद्दसदिवसो ४-२३३२ उसहो य वासुपुज्जो ७-४३४ उस्लप्पिणीए अज्जाखंडे ७-४४८ उस्लासस्सट्टारस ४-२४६९ उस्सेधगाउदेणं ४-२७६५ उस्सेह अंगुलेणं ६-८२ उस्सेहआउतित्थयर ४-२५३८ । उस्सेहोहिपमाणं ५-१२० ४-२१५१ ४-२७५६ । ऊणपमाणं दंडा ४-८४३ | ऊणस्स य परिमाणं वरिमतलवित्थारो उवरिमतलाण रुंदं उवरिमभागा उज्जल उरिमलोयाआरो उवरिम्मि इंदयाणं उवरिस्मि कंचणमओ उवरिम्मि णिसहगिरिणो उरिम्मि णीलगिरिणो ८-६९८ ४-१२४२ ४-५६७ ४-५६९ ५-२२ ४-१२४१ ४-१२७६ ४-१२१५ ४-५१२ ४-८२२ ४-५७९ ४-१२३० ४-७२१ ४-६७५ ४-१२०९ ४-१२१० ४-१६०८ ५-२८६ ४-२१६८ १-११० ४-१४७१ वरिस्मि ताण कमसो उवरिम्मि माणुसुत्तर उवरि उवरि वसंते उवरि उसुगाराणं उरि कुंडलगिरिणो उवरि थलस्स चेट्टदि उरि वि माणुसुत्तर उववणपहुदि सव्वं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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