Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 536
________________ गतिगतयतियवि दुगदुदुगणवतपण दुगसत्तच उक्काई दुगसत्तदसं चउदस दुगुम्मि भसाले 23 22 22 दुगुणाए सूजीए दुगुणिच्चिय सूजीए दुगुणिय सगसगवासे "" दुग्गडवीहि जुत्तो दुख उसगदोणिसगपण दुचयदं संकलि दुदाणिं दुसयाणिं दुतडाए सिहरम्मि य दुसादा जलम मणिस्स एक्क दुविहा किरिया रिद्धी दुविधा चरमचराभो दुविहो हवेदि हेवू दुसयचउसट्टिजोयण 39 " बुसवजुद सगसहस्सा दुसया भट्टत्तीसं दुसह स्सजोयणाणि " ܕܕ "" 39 दुसहरलजोयणाधिय दुसइस्समदडबद्ध Jain Education International दुसहस्वं सन्तसयं दुस्स्सा बाणउदी सुदुखु चिक्के य दुस्समसुसमं दुस्सम दुस्समसुसमे काले दुस्समसुलमो तदिओ कुंदुभी रसणिभो दुहिमगमद्दल देवकुले सजादा देवकुरुष्णार्दि गाथानुक्रमणिका ७- ५५७ | देवगदीदो चत्ता ४-२६४२ देवच्छंद पुरो ७-३३ | देवमणुस्सादीहिं १८- ४५९ | देवरिसिणामधेया .. ४ - २०२० देववरोदधिदीओ ४-२६१५ | देवारणं अण्ण ४-२८३१ देवा बिज्जाहरया ४-२७६३ || देवासुरमहिदाओ ४-२५२१ देवीओ तिष्णि सया ५- २५८ | | देवीण परिवारा ५-२६० देवी तस्स पसिद्धा ४-२२३५ ४-२६५५ २-८६ १-२६२ ४-२४४९ ४-२४०७ ७-५२५ ४-१०३३ ७-४९४ देवरदादिवरम १-३५ | देहअब द्विद केवल ४-७५४ देहत्थो देहादो ४-११२६ देहो मणो वाणी ४-१७९ दो सुतियणह ४-२१०० ४-२५५६ ४-२८२७ २-१६५ १-४६ देवीदेवसमाज देवीदेवसमूहं देवीदेवसमूहा देवीदेवerrear दोको चक्की दोकोडीओ लक्खा दोको छे दोकोसा अवगाढा दो कोसा उच्छेद्दा ४-२६२८ ४-२१२७ | दोकोसा उच्छेदो ८-५४९ देवी धारिणिणामा देवीपुर उदयादो देवी भणुच्छे देवीहि पडिदेहिं ४-२०७१ ४-२१९३ दोवडभडचउसगछदोछारसभाग दोलखा ४-३१७ ४-१६१९ ४-१५५६ दोणवलढणवमति ७-१६ दोणामुद्दाभिधाणं ६- १४ | दोष्णं इसुगाराणं "" 99 95 17 39 " For Private & Personal Use Only [*** ८-६८२ ४-१८८२ १-३० ८-६४५ ५-३३ ४-२३२४ ४-१५४८ ५-२३१ ३-१०३ ७-७७ -૪૫૦ ८-५७३ ३-२१३. ४-११८४ ४-३८२ ४-४६२ ८- ४१६ ८-४४ ८-३७८ २-२७५ ܕܐܙ ९-३९ *२-२१ १- १२४. ४- १२९० . -८-२९५ ४-१७६ ४-१७ ३-२९ ४-१६०१ ४-२६६६ १-२८१ २-१५४ ४-२५९४ ४-२१०२ ४-१४०० ४-२५५३ ४-२५५९ ४-२७९६ www.jainelibrary.org

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