Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 554
________________ [९५१ रडणंक छगुणं रूविदियसुदणाणास्वेणोणा सेठी रोगजरापरिहीणा गापानुक्रमणिका ७-५२८ | लवणप्पहुदिउक्के ४-९९६ लवणम्मि बारसुत्तर ५-२९२६ लवणंबुरासिवास ३-१२७ लवणादिचउक्काणं ७-५९६ .-४१६ ४-१०७६ लवणादीण रुंद ४-२५६५ रोगबिसेहिं पहदा रोगादिसंगमुक्को रोरुगए जेट्ठाऊ रोहिदिपहदीण महारोहीए रुदादी रोहीए समा बारस ४२४०० ५-२५५१ ७-४५० ४-१६४० ५-१८६७ ६-१९ २-२०५ | लवणोदे कालोदे ४-९९८ लवणोवहिबहुमज्झे ४-१७३६ ५-२३१२ लंघतक्काले (2) भरहे लंतवहंदयदक्षिण ३-१२६ लंबंतकुसुमदामा ५-२१० लंबंतकुसुमदामो ५-२५६ लंबंतरयणकिंकिणि लंबंतरयणदामो ५-२६६ लंबंतरयणमाला लाभतरायकम्म ७-१५९ लिहिणं णियणाम लोभेणाभिहदाणं लोयबहुमजमदेसे लोयविणिच्छयकता ४-१२३० २-११८ ८-२४० लोयविछियगंथे ४-१९८१ लोयविभायाइरिया ५-१२२० २-१५१ लोयसिहरादु हेट्ठा लोयंते रज्जुषणा ५-२६१ लोयायासट्टाणं ५-२६३ कोयालोयपया ५-२६२ लोयालोयाण तहा ५-२४२ लोहकलाहावटिव २-३६५ लोहकोहभयमोहबलेणं ५-४६८ लोहमयजुवहपडिम लक्खणजुत्ता संपुण्णलक्षणबंजणजुत्ता लक्सद्धं हीणकदे लक्सविहीणं हे काखस्स पादमाण लक्खं चालसहस्सा लक्खं च सयाणि लक्खं दसप्पमाणं लक्खं पंचसपाणि लक्खं पंचसहस्सा खाणि भट्ट जोयण लक्माणि एक्कणउदी लक्खाणि तिणि सावय लक्खाणि तिणि सोलस लक्खाणि पंच जोषण लक्खाणि बारसं चिय लक्खूणइट्टरुंदं लक्खेण भजिदमंतिम लक्खेण भजिदसगसग लक्खेणोणं रुंद सज्जाए चचा मयण मत्ता लणं उवदे लदो जोयणसंखा कबबजलधिस्स जगदी ४-४७४ २-६ ४-२४९ १-१८५ १-१५ २-३२६ २-३६१ २-१३८ ४-२५१९ । वाचित्तमेहकूमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642