Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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९७२
तिलायपण्णत्ती
बरतनु
.८-१२, ९४ शत्रुजय
४-२०३" शब्दावनि
८-८८ शरद
८-८८
'८-८८ ४-११७ शंखवर
वंशा
वप्रकावती
४-२२०९ विपुलाचल वप्रा ४-२२०९ विभंग सरिता ४-२२००
शकटमुखी
४-१३ ४-२२५४ विभ्रान्त
२-४, ११५ शतउज्वल
४-२०४६ वर्चगत २-१७ विमर्दन
२-५१ शतार
१-५२४ बर्दल २-४५, १२४ विमल
४-१२० वर्धमान ५-१६९, ८-९२ विमल कूट
४-१७०४ बलाहक ४-११९ विमलप्रभ
८-९५ वल्गु ८-१२ विमलमध्यम
८-८८ शर्कराप्रभा १-१५२,२-२१ वल्गुप्रभ ४-१८५२,८-२९० विमलविशिष्ट
शशिप्रभ
४-११८ वशिष्ट
४-२०३१ विमला
५-१७७ शंख
४-२४६६ वसुमती ४-२१९ विमलावर्त
शंखरत्न
५-१७४ वसुमत्का.
४- १९ विमुखी १-१५३ विमोचिता ४-१५३ शंखा
४-२२०८ वंशाल ४-१५८ विरजस्का
४-१५४ शातंकर वाद २-४४, १४६ विरजा . ४-२२९९, ५-७६ शालिवन
४-६५८ वानारसी ४-५४८ विशोक ४-१२१ शाल्मलि
४-२१४७ वारणी ४-१२४ वीतशोक
४-१२१ शिखरी ४-९४, १६६५, १७३४ वाराणसी
४-५३२ वीतशोका ४-२२९९,५-७६ शिवमंदिर वारुणिवर ५-१४ वीर 6-१२ शिवंकर
४-११९ वालुकाप्रभा २-२१ वृत्त ८-९९ शीत
२-१३ वाविल
२-४५ वृषभ ४-२१५, ८-९१ शुक्रपुरी विक्रान्त २-२४१, १२० वृषभगिरि
४-२२९७ विचित्र कूट ४-११७,२१२४ वषभ शैल ४-२२९१, २३९५
शैल
२-१७ विजटावान्
शौरीपुर
४-५४७
२-४९ विजय
श्याम
५-२५ विजयचरी ४-१५
३-२८ श्रद्धावान्
४-२२१३ विजयनगर ४-१२३ वेलम्ब कूट ४-२७६९ श्रावस्ती
४-५२८ विजयपुरी
४-२२९९ वैजयन्त ४-११५, ५२२, श्रीकान्ता । ४-१९६४ विजयवान् ४-१७४५ १३१५,५-१५६,८-१०० श्रीकूट
४-१६३२ विजयन्त ८-१०० वैजयन्ता
४-२३०० श्रीधर विजया ४-२३००, ५-७७ वैजयन्ती
५-७७ श्रीनिकेत
४-१२५ विजया
वैडूर्य २-१६,४-१७२४, श्रीनिचय ४-१६६०,१७३० विजयार्धकुमार ४-१४८ ५-२४, १५०,८-१३ श्रीनिलय
४-१९६४ विदेह . -९१, १७५८ वैभार
१-६६ श्रीनिवास
४-१२३ - विद्याधर श्रेणी . ४-१०९ वैश्रवण ४-१४८,८-९५ श्रीप्रभ
४-११३ विद्युत् द्रह ४-२०९१ वैश्रवण कूट ४-११७, १६३२, श्रीभद्रा
४-१९६४ विद्युत्प्रभ ४-1१८, २०१५
५-१५० श्रीमहिता
४-१९६४
४-२२१३ वेद
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