Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 568
________________ ट्टिममज्झिम रिम टिम मझे उवरिम मिलोए लोओ हेमलोयायारो मिट्ठमपमुद्दा टिल्लम्म विभागे ehati मेलिद मदद हेमवदभर हिमवंत हेमदवाहिणीं हेमवदस् य रुंदा रणवदभंतर हेरण्णवदो मणिकंचण होदि असंखेज्जाणि होदि गिरी रुचकवरो होदि सभापुरपुरदो हादि सदस्सारुत्तर होदि हु पढमं विसुपं मायणी मूलाचार लोकविनिश्चय लोकविभाग Jain Education International गन्ध- नामोल्लेख ८-६९५ | होदि हु सयपदक्खं ८-११६ १-१६६ १- १३७ ८- १४७ ४- २४३४ १- १४२ ४-२५७० ४-१६५१ ४-२३८१ ४- १६९८ ४-२३६४ ४-२३४२ ८-१०७ ५-१६८ ४-१८९७ ८-३४६ ७-५३७ ४- १८६६, १९७५, १९८२, २०२८ ५-६९, १२९, १६७; ७-२०३ ८-२७०, ३८६; ९- ९. होंति अवज्झादिसु णव होति असंखेज्जगुणा | होंति असंखेजाओ हांति णपुंसयवेदा होंति तिविट्ठ- दुविट्ठा ति दद्दाणं मज्झे १-२८१, ४-२४४८, २४९१; ७-११५; ८-६३५. होति पणयहुदी होति पदाआणीया होति पयण्णयहुदी होति परिवारतारा Fifa यमघं सत्य होति सहस्सा बारस होत असं समया हु होति हुई साणादिसु ग्रन्थ- नामोल्लेख ४-१९८२ लोकायनी ८-५३२ लोकायिनी सग्गायणी होंति हु ताणि वाणि होति हु वरपासादा संगाइणी संगायणी संगाहणी संगोयणी For Private & Personal Use Only [ ९६५ ८-३०० -७-४४३ ४-२९३३ ८-६९० २-२७९ ४-१४१२ ४-२०१२ ४-१६८८ ४-१३९२ ३-८९ ७-४६९ ५-१५३ ४-११०७ ४-२८६ ५-१७३ ५-२२८ ४-२७३ ८-५३०. ४-२४४४ ४-२१७, १८२१, २०२९ ४- २४४८ ८-२७२ ८-३८७ ४-२१९ www.jainelibrary.org

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