Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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९५०
तिलोयपणती
रत्तारत्तोदामो
४-५४५ ५-१८८
स्त्तारत्तोदाहिं रसिदिणाणं भेदो रत्तीए ससिविंद रम्मकभोगखिदीए
७-१२
८-३५८ ५-२२३
४-२२८७
७-४९६
रम्मकविजमो रम्मो रम्माए सुधम्माए रम्मायारा गंगा रम्मारमणीयाओ सम्मुजाहिं जुदा स्यणखचिदाणि ताणि स्यणपुरे धम्मजिणो स्यणप्पहभवणीए स्वणप्पहचरमिंदय स्यणप्पहपहुदीसु रयणप्पहपुढवीए
७-२९८ ७-२७५
४-२२६५ ) रामासुग्गीवेडिं ४-२३.४ राबगिहे मुणिसुग्वय
रावंगणबहुमजो ४-३३३ ४-४७२ ५-२३३६ शबंगणवाहिरए ४-२३४. " " ४-२३४९ रायंगणभूमीए ४-२३३५ रायंगणस्स वाहिर
रायंगणस्स मनो ५-२३३ राथाधिरायवसहा
राहूण पुरतलाणं ४-१३९ रिक्वगमणादु अधियं ४-८९४ रिक्खाण मुहत्तगदी ५-५४० | रिटाए पणिधीए १-१०० | रिट्ठाणं णयरतला २-१६८ रिट्ठादी चत्तारो २-८२ रिद्धी हु कामरूवा
रिसहादीणं चिण्इं
रिसहेसरस्स भरहो २-२१७
रिसिकरचरणादीणं २-२७१
रिसिपाणितकणिखित्तं
रुक्वाण चउदिसामुं ४-१३१३
रुजगवरणामदीमो ८-२५६
| रुणरुणरुणंत छप्पय ५-७४ रुदावह अबरुद्दा ३-१४४
रंपगिरिस्स गुहाए
रुम्मिगिरिंदस्सोवरि २-१५९ हेद इसहीण २-२८८ रुदं मूलम्मि सदं ४-१२५ रंदावगाढतोरण
रुदावगाढपहुदि ७-२१५ रुंदावगाढपहुदी ४-१६ रुदेण पदमपीठा . ५१ रूडक्कस्सखिदीदो ५-१... इट्टपहं
४-१०२५
४-६०४ ४-१२५ १-१०६८ ५-१०८६ ४-१९०९
४-९२५
४-२३४४
रयणप्पापुस्थीए स्यणप्पहावणीए रयणमयथंभजोजिद रपणमयपडलियाए रयणमयप्पल्लाणा रयणं च संखरयणा रयणाकरेक्कउवमा स्यणाण यायरेहि रयणादिछट्टमंतं रयणादिणारयाणं स्पणायरस्यणपुरा रविभवणे एक्के रविबिंबा सिग्धगदी रविमंडल व बहा रपिरिक्खगमणखरे रविसतिगहपहुदीर्ण
४-२०१५
४-२१२२ ४-२०७४
५-९९.
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