Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथानुक्रमणिका
[९१९
-४-९५० मूले मम्झे उवार
४-९०७ मेघप्पहेण सुमई १-२०४ मेघाए णारइया ८-१६३ मेच्छमाहिं पहिदेहि
मेरुगिरिपुव्वदक्षिण ४.२५०० मेरुतलस्स य रुंदं
९-५५ ४-९३२ मेरुतलादो उवरि ८-५८९ मेरुतलादो उवारं ४-८९८ मेरुप्पदाहिणे] ४-५४४ मेरुबहुमज्झभागं
मेरुमहीधरपासे ४-२७९१ मेरुसमलोहपिंड ४-१०८२
" " ७-१०८४ मेरुसरि छम्मि जगे ४-१०७२ मेरूवमाणदेहा
मेहुणमंडणओलग मोत्तुग मेरुगिरि
मोरसुककोकिलाणं ४-१७९३
४-२५५ ४-५३०
२-१९. ४-१३४७ ४-२०१६ ४-२५७८ ४-२५८० १-२७८ ८-११८ ४-१८२८ ४-२०७० ४-२००३
२-३२ २-३३ १-२२५ ४-१०२७
मासत्तिदयाहियचउ माहप्पेण जिणाणं माहिंदउवरिमंते माहिंदे सेढिगदा मिच्छत्तभावणाए मिच्छत्तम्मि रता णं मिच्छत्तं अण्णाणं मिच्छाइटिअभव्वा मिच्छाइट्ठी देवा मिदहिदमधुरालाओ मिहिलाए मल्लिजिणो मिहिलापुरिर जादो मुक्का मेरुगिरिंद मुणिकरणिक्खित्ताणिं मुणिपाणिसंठियाणिं मुत्तपुरीसो वि पुढे मुरजायारं उर्दू मुरयं पतंतपक्खी मुसलाई लंगलाई मुहर्रविसेसमद्धिय मुहभूमिसमासमद्विय मुहभूमीग विसेसे मुहमंडवस्स पुरदो मुहमंडवो हि रम्मो मूलप्फलमच्छादी मूलम्मि उवरिभागे मूलम्मि चउदिसासु मूलम्मि य उवरिम्मि य मूलम्मि य सिहरम्मि य मूलम्मि रुंदपरिही मूलसिहराण रुंदं मूलादो उवरितले मूलोवरिभाएसुं मूलावरिम्मि मागे मूलोवरि सो कूडो मूले बारस मज्झे मूले मजझे उवारे
४-२५४७ ४-२००९
४-२०९९
४-१७९६ यम मेघगिरि ब्व ४-१८९३ ४-१८९१ ४-१५३९
रक्खसइंदा भीमो ४-२५४८
रजदणगे दोणि गुहा ६-३०
र जुकदी गुणिदव्वं ५-५९
रज्जुकदी गुणिदब्वा ४-२५७३
रज्जुघणद्धं वहद ८-६००
रज्जुघणा ठाणदुगे ४-२७७२
रज्जुघणा सत्तच्चिय ८-४०१
रज्जुस्स सत्तभागो ४-१७०७
रज्जूए अद्धेणं ५-१४३
रज्जूए सत्तभागं ४-१९८३ रज्जूवो तेभाग
रतिपियजेट्ठा ताणं ४-२२२ रत्ता णामेण णदी
१-१९० १-२१२ १-८९ १-१८५ ८-१३३ १-१९६ १-२३८
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