Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथानुक्रमणिका
४-११२
भीमावलिजियसत्त भुजकोडीवेदेसुं भुजगा भुजंगसाली भुजपडिभुजमिलिदद्धं भुवणत्तबस्स ताहे भुवणेसु सुप्पसिद्धा भुंजेदि प्पियणामा भूदा इमे सरूवा भूदाणि तेत्तियाणिं भूदा य भूदकंता भूदिंदा व सरूवा भूमिय मुहं विसोधिय भूमिय मुहं विसोहिय भूमीए चेहँतो भूमीए मुहं सोहिय.
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४-११८० ७-४३५ २-२०० ४-२७२७ ४-२४८७
२-३६२ ४-२७३०
१-१४१ ४-२१४९
४-७५० १-१५८ १-१५४ ८-२३२
भूमीदो पंचसया भूमीय मुहं सोधिय भूसणसालं पविसिय मेरी पडहा रम्मा भेरीमहलघंटा भोगखिदीए ण होति हु भोगजणरतिरियाणं भोगमहीए सम्वे भोगापुण्णए मिच्छे भोगाभोगवदीओ भोतूण णिमिसमेत भोमिदाण पडण्णय
४-५२० | मगसिरसुद्धएक्कारसिए १-२१७ मग्गसिरसुद्धदसमी
मग्गिणिजक्खिसुलोया १-१८१ मग्गेक्कमुहुत्ताणि ४-७०६ ! मघवीए णारइया ४-१००० मच्छमुहा अभिकण्णा
मच्छमुहा कालमुहा मज्ज पिबंता पिसिदं लसंता
मज्जारमुहा य तहा ६-५४ मज्ज्ञम्हि पंचरज्जू
मज्झिमउदयपमाण ४-२०३३ मज्झिमउवरिमभागे
मझिमजगस्स उवरिम ४-१०२८ मझिमजगस्स हेटिम १-१२३ मज्झिमपरिसाए सुरा १-२२३ । मजिसमपासादाणं ४-२४०३ | मज्झिमरजदरजिदा ४-१७८८ मज्झिमविसोहिसहिदा
मज्झिमहटिमणामो ८-५७८ मझे चेदि गर्य ४-१३८८ मणवेगाकालीओ
मणहरजालकवाडा ४-४१० मणिगिहकंठाभरणा ४-३७५ मणितोरणरमणिज्ज
मणिमयजिणपडिमाओ
मणिमयसोवाणाओ ६-५२ मणिसोवाणमणोहर ४-६१६ मणुसुत्तरधरणिधरं
मणुसुत्तरसमवासो मणुसुत्तरादु परदो मणुस्सतेरिच्छभवम्हि पुवे
मत्तंडदिणगदीए १-३६०
मत्तंडमंडलाणं
मदमाणमायरहिदो ४-१०४५ ४-५४३
मदिसुदअण्णाणाई ३-६४६ मद्दल मुइंगपडह ४-६६७ | महलमुयंगमेरी
४-२४६१ ३-१९३ ८-१२२ ५-१८६ ४-९३८
३-६१ ४-१३० ४-२२७ ४-८०७ ४-२१८८
४-८०१ ४-२७४५
७.६१२
४-1१८१
मउधरेसु चरिमो मउई कुंडलहारा मक्कडयतंतुपंती मरगसिरचोइसीए मागसिरपुणिमाए मग्गसिरबहुल दसमी
३-२१४ -७-४५४ ७-२७६
९-३६ ४-४१६
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