Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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९५० पंचविदेहे साह
तिलोयपण्णती ५-२९३६ | पंचसहस्सा [ तह ] पण
पंचविहत्ते इच्छित पंचसएहिं जुत्ता पंचसयचडसयाणि पंचसयचावतुंगो पंचसयचावरुंदा पंचसयजोयणाई पंचसयजोयणाणिं
७-४४६ ४-१६२८
७-२७१ ७-१९१ ७-४८२
७-३४४ | पंचसहस्सा तिसया ४-१९८८
८-३२५ | पंचसहस्सा दसजुद ५-२२८१ पंचसहस्सा दुसया ८-४०२ | पंचसहस्सेक्कसया ५-१४६ पंचसु कल्लाणेसुं ४-२०१७ पंचसु वरिसे एदे ४-२१४८ ४-२२१८
पंचाणउदिसहस्सं ४-२४८०
पंचाणउदिसहस्सा ४-२५८७
३-१२२ ७-५३२ ७-५३६
७-६०९
पंचसयधणुपमाणो पंचसयभहियाई पंचसयरायसामी पंचसयाइ धणूणि पंचसयाणं वग्गो पंचसयाणि धणूणि पंचसया तेवीसं पंचसया देवीओ पंचसया पण्णत्तर पंचसया पण्णाधिय
पंचाण मेलिदाणं ४-५८५ पंचादी भट्टचयं ४-११०८ पंचासीदिसहस्सा
१-४५पचुत्तरएक्कसयं २-२६९ पंचव सहस्साई ४-९५५ | पंचेच सहस्साणिं
पंडुगजिणगेहाणं ४-२१२ पंडुगवणस्स मज्झे
TURTL
७-४११ ४-१४८४
२-६९ ४-१२२१ १-२६० ७-१९२ ७-१९४ ४-२००० ४-१८४३ ४-१८४७
४-४८३ ४-१२९२ ४-१४४४
पंडुगवणस्स हेतु पंडुगसोमणसाणिं पंडुवणपुराहितो
४-१५५२ ४-७२६
४-२५८४ ४-१९४५ ४-२००४ ४-१८११ ४-१८१८ ४-१८३५
पंचसया पुग्वधरा पंचसया बावण्णा पंचसया रूऊणा पंचसहस्सजुदाणि पंचसंहस्सं अधिया पंचसहस्सा इगिसय पंचसहस्सा चउसय पंचसहस्सा छाधिय पंचसहस्सा जोयण
४-१२७१ ७-१८६ ७-१९९ ४-११३२
पंडुवणे अइरम्मा पंडुवणे उत्तरए पंडुसिलाय समाणा पंडुसिलासरिन्छा पंडूकंबलणामा पाडलजंबू पिप्पल पाणंगतूरियंगा
४-१८३०
४-८२९ ४-३४३
४-५२ ४-२४६० ४-२५५
४-२८४३
पाणं मधुरसुसादं ७-१८९
पादट्टाणे सुण्णं
पादालस्स दिसाए ४-११३६ | पादालाणं मरदा
पंचसहस्साणि दुबे पंचसहस्साणि पूर्व
१७-२७०
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