Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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९५२)
तिलोयपण्णत्ती
४-२२२०
४-२४८८ ४-१८१९ ५-१८३७
२-१६१ ५-१९७ १-२०
८-६३६
पुग्वधरसिक्खकोही पुग्वधरा तीसाधिय पुव्वधरा पण्णाधिय पुग्वपवण्णिदकोत्थुड पुब्वभवे भणिदाणा पुष्वमुहदारउदो पुष्ववण्णिदखिदीणं पुन्वविदेहस्सते पुष्वविदेहं व कमो पुवस्सि चित्तणगो पुग्वं भाइरिएहिं पुग्वं ओलग्गसभा पुग्वंगतयजुदाई पुच्वंगब्भहियाणि पुग्वं चउसीदिहदं पुव्वं पि व वणसंडा पुन्वं बद्धणराऊ पुवं बद्धसुराउ पुरवं व गुहामझे पुन्वं व विरविदेणं पुवाए कप्पवासी पुध्वाए गंधमादण पुवाए तिमिसगुहा पुग्वाण एक्कलक्खं पुग्वादिचउदिसासु
५-१५४
४-६८७ ४-६८२ ४-६९२
४-६८०
४-१०९८ | पुव्वावरविच्चालं ४-१११७ | पुवावरेण जोयण
पुवावरेण तीए । ४-२४७२ पुव्वावरेण सिहरी ४-१५९० पुवावरेसु जोयण ४-१६३६ पुवासे कोसुदओ
१-२१४ पुवाहिमुहा तत्तो ४-२२०१ पुबिल्लयरासीणं ४-२२९८ पुव्विल्लवेदिअद्धं ४-२१२४ पुचिल्लाइरिएहिं
१-१६ पुवुत्तरदिब्भाए ८-३९५ ४-१२५१
पुग्वोदिदकूडाणं ४-१२५०
पुग्बोदिदणामजुदा ४-२९४
पुस्सस्स किण्हचोदसि ४-२१०५
पुस्सस्स पुण्णिमाए ४-३६९ २-३४७
पुस्सस्स सुक्कचोद्दसि ४-१३६४
पुस्से सिददसमीए १-१२९
पुस्से सुक्केयारसि
पुस्लो अभिलेसाओ ४-२१९२
पुह खुल्लयदारेसुं ४-१७६
पुह चउवीससहस्सा ४-९४३
पुह पुह चारक्खेत्ते पुह पुह ताणं परिही ।
पुह पुह दुतडाहितो ८-४३०
पुह पुह पइण्णयाणं ८-६०८
पुह पुह पीढतयरस २-२५
पुह पुह पोक्खरणीणं ५-१३६
पुह पुह मूलाम्म मुद्दे ४-१०१
पुह पुह वीससहस्सा ४-२७३३ पुह पुह ससिबिबाणिं ४-१८५६
पुह पुह सेसिंदाणं ४-२१०३
पुंडरियदहाहितो ४-२१२८ पूजाए अवसाणे ४-२१९९ / परंति गलंति जदो
४-६९३ .७-४८७ ४-१८८९ ४-२१७९ ७-५५३
पुग्वादिसु ते कमसो पुष्वादिसुं अरज्जा पुग्वावरमायामो पुष्वावरदिउभाए पुग्वावरदिन्भाय पुवावरदो दीहा पुन्वावरपणिधीए पुष्वावरभाएK
४-२४११ ४-२४४२
८-२८५ ४-१८२४ ४-२१८९ ४-२४१२ ४-२१७८
४-२३५२ ३-२२७
पुज्वावरभागेसुं
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