Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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९४४
तिलोयपण्णत्ती
बहुतहरमणीयाई बहुतोरणदारजुदा बहुदिध्वगामसहिदा बहुदेवदेविसहिदा बहुपरिवारहिं जुदा बहुपरिवारहिं जुदो बहुभूमीभूसणया
२-१४४ ८-५४५ ३-११२ ५-२१७ ४-८६३ ३-११५ ७-२०१ ७-२८४ ७-२८६ ४-९४४ ८-२१४ ४-२५९० ४-१२६७ २-२३६ २-२३७ २-२६० ५-२२९
४-२३२६ । बारसजायणलक्खा ४-१७०८ बारसदिणं तिभागा ४-१३४ | बारसदिणेसु जलपह
बारस देवसहस्सा ४-१६५२ बारसमम्मि य तिरिया ४-१७१२ बारस मुहुत्तयाणिं ४-८१२ ४-८३२ ४-१२०६ ४-१३५२
बारसवच्छरसमधिय ४-१०५२
बारसविहकप्पाणं
बारससयपणुवीस ३-१३२
बारससयाणि पण्णा५-२२४
बारस सरासणाणिं ५-१०८ ८-५९१ ४-१८६४ | बारसलहस्सजायण ४-२२५० ४-१६४६ ९-६२ बारससहस्सणवसय २-१४ ७-१९१
बारससहस्सपणसय २-७४
वारससहस्सबेसय ६-७५
बारससहस्समेत्ता ४-१८१
बारसहदइगिलक्ख २-२२७
बालत्तणम्मि गुरुगं ८-२३
बालरवीसमतेया
बावण्णसया पणसीदि ४-२४७१
बावण्णसया बाणउदि ४-२४५७ बावण्णा तिणिसया
१-१८२ बावण्णुदहीउवमा ४-२०३७ बावत्तरि तिसयाणि
८-११५ बावीसजुदसहस्सं ४-२६२४ 'बावीसतिसयजोयण ४-२८३९ बावीससया ओही ७-१४६ बावीससहस्साणिं २-१४३ ।
"
८-४३४ ८-४८
बहुलट्ठमीपदोसे बहुविजयपसस्थीहिं बहुविहउववासहि बहुविहदेवीहिं जुदा बहुविहपरिवारजुदा बहुविहरइकरणेहिं बहुविहरसवंतेहिं बहुविहविगुठवणाहिं बहुविहविदाणएहिं बहुविहवियप्पजुत्ता बहुसालभंजियाहिं बंधाणं च सहावं बंबयबगमोअसारग्ग बाणउदिउत्तराणिं बाणउदिजुत्तदुसया बाणउदिसहस्साणि बाणजुदरुंदवग्गो घाणासणाणि छच्चिय बादाललक्खजोयण बादाललक्खसोलस बादालसहस्साई बादालसहस्साणि बादालहरिदलोओ बारसअन्भहियसयं बारस कप्पा केई बारसजुददुसएहिं
८-७८
४-२५७१
६-२३ ४-२२७४ ४-५६५ ४-६२६ ४-३४० ७-४८१ ७-४८४ ७-५९४ २-२११ ७-३६७ ८-१९९
८-२४
6
बारसजुदसत्तसया बारसजायणलक्खा
४-११५० ५-२००२ ४-२०१.
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