Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 542
________________ गाथानुक्रमणिका ४-१७०२ . १-२१५ २-३६१ २-१९ ४-१४८३ परिवारबल्लभाओ परिवारसमाणा ते परिवारा देवीओ परिवेढेदि समुद्दो परिसत्तयजेट्ठाऊ परिहीसु ते चरते पलिदोवमट्टमंसे पलिदोवमदसमंसो पलिदोवमद्धमाऊ पलिदोवमद्धसमधिय पलिदोवमस्स पादे पलिदोवमं दिवढे पलिदोवमाउजुत्तो ५-२९७ ७-२५१ ८-३१४ | पसरइ दाणुग्घोसो ३-६८ | पस्सभुजा तस्स हवे ५-२१६ | पहदो णवेहि लोओ ४-२७१८ | पंकपहापहुदीणं ३-१५३ पंकाजिरो य दीसदि ७.४५८ | पंच इमे पुरिसवरा ४-४२१ । पंचक्खा तसकाया ४-५०२ पंचक्खे चउलक्खा ३-१५८ | पंचगयण?अट्ठा ५-१२६० पंचगयणेक्कदुगचउ ४-१२४७ पंच चउठाणछक्का पंचचउतियदुगाणं ६-८९ | पंच च्चिय कोदंडा ६-९१ पंच जिणिदे वदंति पंचट्ठपणसहस्सा ८-५२५ पंचतितिएक्कदुगणभ ८-५२८ पंचत्तालसहस्सा ८-५३१ ६-९४ पंचत्तालं लक्ख पंचत्तीससहस्सा ५-१६४ पलिदोवमाणि आऊ पलिदोवमाणि पण णव ७-५६४ ८-२८८ २-२२५ ४-१४१४ ४-११३८ ४-२३७५ ७-२३१ ७-३४९ ८-१० ७-३४६ ८-६३३ ६-७४ पंचत्तीसं लक्खा ४-१२७९ ७-५४८ ८-२९४ पलिदोवमाणि पंच य पल्लहदि भाजेहिं पल्लद्धे वोलीणे पल्लपमाणाउठिडी पल्लसमुद्दे उवम पल्लस्स पादमद्धं पल्लस्स संखभागं पल्लंकआसणाभो पल्लाउजुदे देवे पल्ला सत्तेक्कारस पल्ला संखेज्ज सो पवणदिसाए पढमपवणदिसाए होदि हु पवणंजयविजयगिरी पवणीसाणदिसासुं पवणेण पुणिय तं पवराउ वाहिणीओ पविसंति मणुवतिरिया पम्वजिदो मल्लिजिणो पम्वदविसुद्धपरिही पग्वदसरिच्छणामा ४-६२२ ४-२२११ २-१९९ २-२८५ ६-८८ पंचदुगअट्ठसत्ता ८-५२९ | पंचपणगयणदुगचउ ८-५४८ पंचपुलगाउअंगो- ५-२०१ | पंचमओ वि तिकूडो ४-१८३४ | पंचमखिदिणारइया ४-१३७७ | पंचमखिदिपरियंतं ४-१९५४ | पंचमहन्वयतुंगा ४-२४३५ । पंचमहन्वयसहिदा. ४-३३० पंचमिए छट्ठीए ४-१६११ | पंचमिखिदीए तुरिमे ४-६६८ पंचमिपदोससमए ४-२८३४ पंच य इंदियपाणा ४-२००५ | पंच वि इंदियपाणा ८-६५१ ५-१९५ ४-१२०३ २-२७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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