Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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पणवीसजोयणाई qणवीसद्धिदा पणवीसम्भहिय सयं
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पणवीसम्भहियाणि
पणवीस सहसाधिय
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पणवीससइस्सेहिं पणवीसाधियछस्सय
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पणवीसाहियछस्सय पण सगोच्छचियग पणसद्विसहस्सा ि पणसट्ठी दोणिसा पण सय जोयण रुंद
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पण सयपमाणगामपण संखसहस्वाणि
पणहरिपरिमाणा
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पणिधी आरणचुद पणुवीसमधियधणुसय
पणुवीसकोडकोडी
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पणुवीस जुदेक्कसयं
पणुवीसजोयणा इं पणुवीसनोयणाण पशुवीस जोयणाणि
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पणुवीजयद पणुवीससया भी पणुवीससहरसाई
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पणुवीससहस्वाणि पणुवीससहसाथिय TP. 118
गाथानुक्रमणिका
४-२१८७ | पणुवीससहस्सा हिय
४- १९४७ पणुवीस सुप्पबुद्धे ४-८९० पणुवी दोणिसा पणुवीसं लक्खाणि
४-१९७१
४-२०५०
४-१५९५
२-१३५
२-१४७
४- २०२२
४-७७४
४-८५१
४-८७८
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पणुवीसाधिय
पणुवी साधियतिसया
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पणुवीसुत्तरपणस पशुद्दतरिचावाणि पणुदत्त रिजविसमा
४-८७२
४-२६९२ | पण्णट्टिसहस्वाणि ४-२००९ पण्णत्तरितुंगा २-६८ | पण्णत्तरी सहस्सा ४-१९३८ पण महियं च सर्व ४- १९८९ | पण ठाणे सुष्णं ४- १३९९ पण्णरसद्वाणेसु
७-१९३
२-२६१
१-२०७
४-८२५
५-७
८-३१३
४-२१७
२-१७९
४-२१६
६-९
पण्णरसहृदा रज्जू
४-१०८
पण कोडा पण्णरसेसु जिनिंदा
४- ११४४
४- १२९८ | पण्णरसेहिं गुणिदं
४- १४२४ | पण्णसमणेसु चरिमो
४ - २१४३ | पण्णसय सदस्सागिं
८ - १८१
४-१३०१
२-१११
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पण्णरस मुहुत्ताई
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पण्णरसलक्खवच्छर
पण्णरसवासलक्खा
पण्णरससया दंडा
पण्णरसससह राण
पण्णरससहस्साणि
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पण्णाधियदुसयागि पण्णाधिपंचसया
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[ ९१७
४-५७३
८-५०७
४-३०
२-१२९
८-४७
८-१९२
८-२४३
४-४७०
४-१२९९
४- १३०२
४-४९५
४-२८
४-८९२
४-१२२३
५-१८२
५-११८
४-१३६९
८-४७८
८-४६८
८-४७३
८-४८८
७-२८७
४-१२६४
४-९५४
४-१९७४
७-११९
४-२१
८- ६१८
१-२२१
२-२४१
४-१२८८
१-१२४
४- १४८०
४-१७१८
७-२७१
४-२४८१
४-२४९१
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