Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 537
________________ तिलोयपण्णत्ती ५-१६८२ ४-२८७६ ७-४७४ ४-१२८९ ४-२५४१ ४-२२०४ २-१३० ४-२२८० २-२९६ ४-१०९६ ८-९५ १-१३ दोण्णं इसुगाराणं दोणं उसुगाराणं दोण्णं पि अंतराल दोणि रिचय लक्खाणि दोषिण पयोणिहिउवमा दोणि वि इसुगाराणं दोण्णि वि मिलिदे कप्पं दोणि वियप्पा होति हु दोणि सदा पणवण्णा दोणि सया अडहत्तरि दोणि सयाणि अट्ठा दोणि सया देवीओ दोणि सया पण्णासा दोषिण सया वीसजुदा दोणि सहस्सा चउसय दोषिण सहस्सा तिसया दोणि सहस्सा दुसया दोण्हं दोण्हं छक्क दोतीरवीहिरुंद दो दंडा दो हत्या दो दो भरहेरावद दोहोतियइगितियणव दोहोसहस्समेत्ता दोहोसुं पासेसुं दोपक्खखेत्तमेत्तं दोपक्खेहिं मासो दोपणचउइगितियदुग दोपचंबरइगिद्ग दोपासेसु य दक्षिण दोपासेसु दक्खिण दोभेदं च परोक्वं दो रुद्द सुण्ण छक्का दो रुदा सत्तमए दोलक्खाणि सहस्सा दो लक्खा पण्णारस दोलखेहिं विभाजिद दोसगणभएकदुर्ग ४-२८०० दोसगणवचउछद्दो ४-२७०७ दोसगदुगतिगणवणभ ४-२०७७ दोससिणक्खत्ताणं दो सुण्णा एक्कजिणो ८-४९३ दोसुंइसुगाराणं ४-२७८५ दोसु पि विदेहेसुं - ४-३६ दोहत्था वीसंगुल १-१० ४-१५०४ ४-१२७४ धणदो विक दाणेणं २-२६७ धम्मदयापरिचत्तो ३-१०४ धम्मम्मि संतिकुंथू ४-२०१७ धम्मवरं वेसमणं ४-१४८९ धम्माधम्मणिबद्धा धम्मारकुंथू कुरुवंसजादा ४-१११४ | धम्मेण परिणदप्पा ४-२२१७ धयदंडाणं अंतर धरणाणंदे अधियं ४-१३३८ २-२२१ ४-२५४९ धरणिधरा उत्तुंगा ४-२८४५ धरणिंदे अधियाणि धरणी वि पंचवण्णा धरिऊण दिणमुहुत्ते १-१४० धवलादवत्तजुत्ता ४-२८९ धाउविहीणत्तादो ४-२६९५ धादइतरूण ताणं ४-२९१४ धादइसंडदिसासु ४-२७९५ धादइसंडपण्णिद ४-२५५२ १-३९ धादइसंडप्पहुदि ९-५७ ४-८२४ ३-१५९ ३-१७१ ४-३२८ ३-१४८ ४-३२९ ७-३४३ ४-१८२५ ३-१३१ ४-२६०१ ४-२४९० ४-२७८४ ४-२०१२ ५-२७१ ५-२७७ ४-२५७३ ४-२७८६ ४-२५२७ ४-१४६८ धादहसंडे दीवे २-१२ ४-२८२५ धादइसंडो दीओ ५-२६५ | पादुमयंगा वि तहा ४-२८९४ धिदिदेवीय समाणो ४-२३६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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